अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी लखनऊ
उत्तर प्रदेश के सत्ताइस हजार से अधिक प्राथमिक विद्यालयों को जल्द ही बंद किए जाने की तैयारी है। बेसिक शिक्षा विभाग इसके लिए कार्य योजना बना रहा है। यह वह विद्यालय हैं, जिनमें अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या पचास से कम है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इन विद्यालयों के छात्रों को दूसरे नजदीकी विद्यालयों में मर्ज किया जाएगा। डीजी ने हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में इस संबंध में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि इस मुद्दे पर 13 अथवा 14 नवंबर को सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों के साथ एक विशेष बैठक करेंगी।
बेसिक शिक्षा विभाग कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की काफी पहले से तैयारी कर रहा है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने जून में यू-डायस पोर्टल से प्रत्येक जनपद के ऐसे विद्यालयों का ब्यौरा इकट्ठा किया था, जिनमें छात्र संख्या पचास से कम है। ऐसे विद्यालयों की संख्या 27,931 है। उसके बाद सभी जिलों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को उक्त ब्यौरा भेजकर स्थिति पर खेद जताया था। साथ ही विद्यालयों से छात्र संख्या कम होने पर स्पष्टीकरण मांगने के निर्देश दिए थे। डीजी के निर्देश पर ही सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ऐसे नजदीकी विद्यालय चिह्नित कर रहे हैं, जिनमें पचास से कम छात्रों वाले विद्यालयों को मर्ज किया जा सकता है।
डीजी नें विगत 23 अक्टूबर को बेसिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक भी किया था। इसमें उन्होंने निर्देश दिए हैं कि भारत सरकार द्वारा विद्यालयों को पूरी तरह से व्यावहारिक बनाने की दिशा में यह कदम उठाया गया है। कम नामांकन वाले विद्यालयों का नजदीकी विद्यालयों के साथ मर्जर किया जाएगा। विद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि पचास से कम नामांकन वाले प्राथमिक विद्यालयों के संबंध में आंकड़ों के आधार पर तैयारी प्राथमिकता के आधार पर पूरी कर ली जाए। कार्य योजना में ध्यान रखा जाए कि किस विद्यालय का किस नजदीकी विद्यालय में मर्जर किया जा सकता है।
बच्चों की उपलब्धता, आवागमन की सुविधा, नहर, नाला, हाइवे आदि पर विचार कर रूप-रेखा तैयार करते हुए प्रत्येक विद्यालय के लिए एक पेज की टिप्पणी तैयार कर ली जाए। ऐसे सभी विद्यालयों के बारे में जनपद की एक बुकलेट तैयार कर लिया जाए। इस संबंध में सभी जिला बेसिक अधिकारियों के साथ आगामी 13 या 14 नवंबर को पुनः बैठक आयोजित की जाएगी। उक्त निर्णय से बेसिक शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।