अजीत पार्थ न्यूज बस्ती
जनपद के विकास खंड बनकटी से ब्रिटानिया हुकूमत के समय साल 1910 में गिरमिटिया मजदूर बनकर फिजी देश ले जाए गए गरीब राम के परिजनों नें आखिरकार सात साल की मेहनत के बाद अपने पुरखों के गांव को ढूंढ निकाला। इस दौरान अपनी पत्नी के साथ मिले सहोदर लोगों से मिलने के बाद उनकी आंखों में आंसू छलक उठे।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1910 में बनकटी विकास खंड के कबरा ग्राम निवासी गरीबराम को अंग्रेजों द्वारा गिरमिटिया मजदूर बनाकर गन्ने की खेती के लिए कोलकाता के रास्ते फिजी देश ले जाया गया था। उस समय गरीब राम की अवस्था मात्र 18 वर्ष की थी। कुछ सालों बाद उन्होंने वहीं पर अपना घर बसा लिया और अपने परिवार के साथ वहीं पर गुजर बसर करने लगे।

उनके पौत्र रविंद्र दत्त वर्ष 2019 में भारत आए और इस दौरान उन्होंने भारत में इलाज कराया तथा अयोध्या सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों पर घूमें टहले और अपने पुरखों का गांव तलासने लगे। दो-तीन बार तो उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। काफी खोजबीन के बाद उन्हें अपने परदादा गरीब राम का इमीग्रेशन पास मिल गया, जिसमें उनके बारे में काफी जानकारी लिखी हुई थी और इस जानकारी के आधार पर वह बस्ती जनपद के कबरा गांव को ढूंढ़ने लगे।
चूंकि लालगंज के पास भी एक कबरा गांव है तथा दूसरा गांव बनकटी विकास खंड में है। इस दौरान उनकी मुलाकात कबरा खास गांव के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रवि प्रकाश चौधरी से हुई और उन्होंने रविंद्र दत्त तथा उनकी पत्नी केशनी हरे को गांव को ढूंढ़ने में मदद करने के साथ-साथ उनके परिजनों को तलाशने के लिए तहसील से लगायत अन्य दस्तावेजों को खंगाला।
इस दौरान पता चला कि गरीब राम के परिवार से जुड़े हुए भोला चौधरी, गोरखनाथ, विश्वनाथ, दिनेश, उमेश राम उग्रह सहित परिवार के अन्य सदस्य गरीब राम के ही खानदान के हैं। इन सभी लोगों से मिलने के बाद रवींद्र दत्त तथा उनकी पत्नी केशनी हरे की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। इस दौरान उन्होंने गांव का एक-एक कोना देखा तथा अपने परिवार के बारे में अन्य जानकारियां लेने के साथ-साथ बहुत सारे फोटो को यादों के रूप में कमरे में कैद किया और फिर वापस फिजी देश लौट गए। रविंद्र दत्त का कहना है कि अपने पुरखों के परिवार से मिलने से उन्हें काफी हर्ष है और अब मिलने जुलने का यह सिलसिला चलता रहेगा। हम चाहेंगे कि हमारे परिवार के लोग फिजी भी टहलने आएं।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रवि प्रकाश चौधरी के अनुसार गांव में गरीब राम के नाम से वर्तमान समय में मात्र दो धुर जमीन बचा हुआ है। फिलहाल अपने परिजनों से मिलने के बाद रवींद्र दत्त और केसरी हरे फिजी देश के लिए रवाना हो चुके हैं।


