अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी
तीन फिट जमीन के लिए उपजिलाधिकारी द्वारा दिव्यांग का प्रधानमंत्री आवास ध्वस्त करने के मामले में विशेष न्यायालय नें उपजिलाधिकारी सहित दर्जन भर अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश जारी किया है। पूरा मामला जनपद भदोही अंतर्गत औराई क्षेत्र के जाठी ग्राम का है, जहां पर मात्र तीन फीट जमीन का अतिक्रमण हटाने गए औराई के तत्कालीन उपजिलाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, उपनिरीक्षक सहित कुल दर्जन भर लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक दर्जन पुलिस कर्मियों नें विगत 11 अक्टूूबर 2023 को बुलडोजर से जाठी निवासी दिव्यांग रविशंकर का प्रधानमंत्री आवास ध्वस्त करा दिया था। सूचना के अनुसार आबादी की दो बिस्वा जमीन से उसका आशियाना तो उजाड़ा ही गया बल्कि पूरी जमीन भी खाली करा दी गई।
जनपद के आला अधिकारियों एवं पुलिस अधिकारियों नें तो उक्त मामले पर ध्यान नहीं दिया पर न्यायालय नें इसका संज्ञान लेते हुए कार्यवाही का आदेश जारी किया। चर्चित मामले में अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय एससी एसटी कविता मिश्रा के आदेश पर सभी के खिलाफ सदर कोतवाली में विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है। मुकदमा दर्ज होते ही तहसील के अधिकारियों में खलबली मच गई है।
उल्लेखनीय है कि दिव्यांग रविशंकर का गांव में प्रधानमंत्री आवास है। उसने न्यायालय में कहा कि उसके पूर्वज उक्त जमीन पर कच्चा मकान बनाकर रहते आए हैं। सात साल पहले उसे प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण मिला था। उसनें अपना कच्चा मकान गिराकर उस पर पीएम आवास बनवाया। जहां उसका कच्चा मकान है उसी से कुछ जमीन छोड़कर गांव के सत्यदेव दुबे की जमीन है।
सत्यदेव नें उपजिलाधिकारी न्यायालय के निर्देश पर अपनी जमीन की पैमाइश कराई तो तीन फीट जमीन उसके आवास से सटकर निकली। 11 अक्टूबर 2023 को औराई के तत्कालीन उपजिलाधिकारी आकाश कुमार, तहसीलदार सत्यपाल प्रजापति, नायब तहसीलदार बलवंत उपाध्याय, राजस्व निरीक्षक बैकुंठनाथ, लेखपाल संतोष जायसवाल, पुलिस टीम में उपनिरीक्षक धीरेंद्र यादव, कांस्टेबल शंभूनाथ सहित चार अन्य पुलिस कर्मी व सत्यदेव बुलडोजर के साथ उसके घर पर आए।
आरोप है कि अधिकारियों नें तीन फीट जमीन के साथ उसका आवास ही ढहा दिया। वहीं अभिलेख में जो दो बिस्वा आबादी की जमीन थी उससे उसे बेदखल कर दिया गया। मामले को लेकर उन्होंने ज्ञानपुर कोतवाली, पुलिस अधीक्षक समेत अन्य उच्चाधिकारियों को शिकायती प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उक्त मामले में न्यायालय की शरण लिया तो कोर्ट नें प्रकरण का संज्ञान लिया और कार्यवाही का आदेश जारी किया।