अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी अयोध्या
अवधधाम के कोतवाल हनुमान जी के अतिप्राचीन मंदिर हनुमानगढ़ी के इतिहास में पहली बार कोई गद्दीनशींन महंत 52 बीघे की परिधि से बाहर निकलेंगे। वर्तमान गद्दीनशींन महंत प्रेम दास की ओर से रामलला के दर्शन की सद्इच्छा के आगे आखिरकार निर्वाणी अखाड़ा के पंच पसीज गए और अखाड़े की बैठक कर सर्वसम्मति से गद्दीनशींन को दर्शन की अनुमति दे दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हनुमानगढ़ी की नियमावली की शर्तों के मुताबिक गद्दीनशींन पद पर प्रतिष्ठित महंत के लिए यह बाध्यता है कि वह परिसर जिसकी परिधि 52 बीघे निर्धारित है,से बाहर मृत्यु पर्यन्त तक नहीं निकल सकते हैं। हनुमानगढ़ी की नियमावली की इस शर्त की मर्यादा का पालन सिविल कोर्ट भी करता है। किसी सिविल मुकदमे में गद्दीनशींन के बजाए अखाड़े के मुख्तार ही पैरोकार के रूप में अदालत में हाजिर होते हैं। यदि जरूरत पड़ी तो कोर्ट स्वयं हनुमानगढ़ी आकर गद्दीनशींन का बयान दर्ज करती रही है। यह परम्परा साल 1904 से चली आ रही है।
उधर अखाड़े की अनुमति के बाद अक्षय तृतीया तदनुसार 30 अप्रैल को गद्दीनशींन महंत प्रेम दास अखाड़े के निशान के साथ-साथ, गाजा-बाजा लेकर शोभायात्रा के रूप में हनुमानगढ़ी से निकल कर रामलला के दरबार में पहुंचेंगे। उनके साथ अखाड़े के नागा संत व शिष्य श्रद्धालु व व्यापारियों का भी हुजूम शामिल रहेगा। हनुमानगढ़ी से शोभायात्रा सुबह सात बजे सबसे पहले सरयू तट पहुंचेगा। यहां गद्दीनशींन महंत व अन्य नागा संत मां सरयू का पूजन करेंगे और तत्पश्चात शोभायात्रा राम मंदिर के लिए निकलेगी। अखाड़े की ओर से यह सूचना श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भी भेज दी गयी है।
हालांकि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट नें रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान हनुमानगढ़ी के चारों पट्टियों सगरिया,बसंतिया, हरिद्वारी, उज्जैनिया के महंतों के अतिरिक्त निर्वाणी अखाड़ा के श्रीमहंत मुरली दास सहित गद्दीनशींन महंत प्रेम दास को भी आमंत्रित किया था। फिर भी प्राण-प्रतिष्ठा में निर्वाणी अखाड़ा के महंत मुरली दास के अलावा उज्जैनिया पट्टी के महंत संतराम दास व बसंतिया पट्टी महंत रामचरन दास सहित अखाड़े के गिनती के नागा संत सम्मिलित हुए थे। वहीं अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष व सागरिया पट्टी के महंत ज्ञानदास अस्वस्थता के कारण प्राण-प्रतिष्ठा में नहीं शामिल हुए लेकिन उन्होंने अपने शिष्य मंडली के साथ बाद में जाकर रामलला का दर्शन किया था। गद्दी नशींन महंत प्रेम दास तभी से रामलला के दर्शन के लिए लालायित थे, लेकिन हनुमानगढ़ी के संविधान के प्रतिबंधों ने उन्हें जकड़ रखा था। सूचना के अनुसार इस दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की भी योजना बनाई गई है।