अल-नीनो के कारण इस साल मानसून रहेगा हल्का,कृषि पर पड़ेगा प्रभाव 

सामान्य तौर पर हर तीन से पांच साल बाद होने वाली अल नीनो के कारण इस साल भारत के मौसम को प्रभावित कर सकती है, जिससे कृषि क्षेत्र प्रभावित हो सकता है। नाम न छापने की शर्त पर एक कृषि वैज्ञानिक नें कहा, अल नीनो घटना से मानसून की बारिश सबसे अधिक प्रभावित होती है। चूंकि बारिश कृषि गतिविधियों के लिए आवश्यक है, अल नीनो भारत के लिए चिंता का कारण बन सकता है। साथ ही इस पर अलग राय भी है। इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक (दक्षिण एशिया) पीके जोशी के मुताबिक, भले ही इस साल अल नीनो प्रभाव के कारण कम बारिश हो, अधिशेष वर्षा वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से दक्षिणी भारत में फसल के नुकसान के मामले में ज्यादा प्रभावित नहीं हो सकता है। क्योंकि मामूली कमी वाली बारिश वहां फसलों के लिए कोई गंभीर खतरा पैदा नहीं करती है। जोशी नें कहा कि उत्तर भारत में भी कम बारिश की स्थिति में पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों पर उतना प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनके पास सिंचाई की अच्छी सुविधाएं हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि यह देखा जाना बाकी है कि अल नीनो इस साल भारत में बारिश को प्रभावित करता है या नहीं, क्योंकि मानसून का मौसम काफी दूर है और रबी का मौसम भी कमोबेश खत्म हो गया है, इसलिए फिलहाल देश में किसी भी तरह की फसल नुकसान जैसी स्थिति की संभावना नहीं लगती है।

मौसम विभाग के अनुसार, हालांकि मार्च से मई में सामान्य से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्मी की लहरें चलने का अनुमान है। इसमें कहा गया है कि भारत अनिवार्य रूप से मॉनसून से पहले और बाद में गंभीर घटना का अनुभव करेगा, जो कृषि क्षेत्र को प्रभावित करेगा। यदि अल नीनो से कृषि गतिविधियां प्रभावित होती हैं, तो इसका प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है, क्योंकि वस्तुओं की कमी से मुद्रास्फीति में वृद्धि होगी।

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