उप्र राज्य स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश और उसके द्वारा दिए गए नए आंकड़ों के आधार पर मेयर और अध्यक्ष की सीटों को आरक्षित करने का काम भले ही उच्चतम न्यायालय से इजाजत मिलने के बाद शुरू हो, पर नगर विकास विभाग नें इसको अमल में लाने और खमियां दूर करने पर मथापच्ची शुरू कर दी है। यह भी माना जा रहा है कि अब तक हुए सभी पुराने निकाय चुनावों को शून्य मान लिया जाए। अगर ऐसा हुआ तो वर्ष 2023 को पहला चुनाव मानते हुए नए सिरे से सीटें आरक्षित की जाएंगी। यूपी निकाय चुनाव के लिए आयोग ने कई जरूरी सिफरिशें की हैं। खासकर पिछड़ों को उनके अनुपात के हिसाब से 27 फीसदी आरक्षण देने की बात की गई है।
सूत्रों का कहना है कि 350 पेज की रिपोर्ट में जिलेवार पिछड़ों की संख्या का भी जिक्र किया गया है। आयोग को सर्वे के दौरान ओबीसी की आबादी की गणना के लिए हुए रैपिड सर्वे के आंकड़ों में समानता नहीं मिली है। कई जगहों पर एक जैसी ही सीमा रहते हुए भी ओबीसी आबादी की गणना दो बार अलग-अलग आई है। यही नहीं, आयोग के सर्वे में जातिवार गणना में फर्क थोड़ा नहीं, बल्कि इसमें काफी अंतर प्राप्त हुआ है।