अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने मंगलवार को लोकभवन में प्रेस कांफ्रेस कर सीतापुर के जिला कृषि अधिकारी मनजीत कुमार को निलंबित कर दिया। कृषि मंत्री के अनुसार इफको केंद्र के निरीक्षण में लापरवाही बरतने के आरोप में जिला कृषि अधिकारी निलंबित किया गया है। सोमवार को छापे के दौरान पता चला कि मार्च माह के बाद से उन्होंने निरीक्षण नहीं किया था। इस वजह से खाद दुकानों पर अनियमितााओं के लिए भी वह दोषी हैं। लापरवाह कार्यशैली के कारण उन्हें निलंबित किया गया है। वहीं, जैन इंटरप्राइजेज व मेसर्स बालाजी एग्रो ट्रेडर्स का लाइसेंस भी निलंबित करने के साथ-साथ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, दुकान छोड़कर भागे दुकानदारों के प्रतिष्ठान के लाइसेंस भी निलंबित कर दिए गए हैं। हालांकि चर्चा रही कि फोन पर मंत्री को एआर कॉपरेटिव नवीन चंद्र शुक्ला ने भी सही ढंग से उत्तर नहीं दिया था। मंत्री नें उन्हें फटकारा भी था। ऐसे में वह कार्यवाही से कैसे बचे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही नें जिले की दुकानों पर छापा मारा था। इस दौरान अनियमितताएं पाई गईं थी। कई खाद दुकानदार कार्रवाई से बचने के लिए दुकान छोड़कर भाग गए थे। चार दुकानों को सीज करते हुए नमूने भरे गए थे। गौरतलब है कि खरीफ सीजन चल रहा है। किसानों को खाद की आवश्यकता के साथ खेतों की तैयारी करनी होती है, इससे वह व्यस्त रहते हैं। इस सबके बावजूद उन्हें खाद मिलने दिक्कतें हो रही हैं।
साधन सहकारी समितियों पर खाद नहीं मिलने से वह प्राइवेट दुकानों को रुख करते हैं। यहां उन्हें कई तरह की दिक्कते हो रहीं हैं। अधिक मूल्य पर खाद मिलती है। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही नें सोमवार को सिधौली और सकरन ब्लॉक की दुकानों में छापेमारी किया था। खाद लेने वाले किसानों से बात की। इस दौरान उन्हें किसानों को खाद मिलने में हो रही दिक्कतों की जानकारी हुआ और सहकारी समितियों पर खाद की उपलब्धता न होने का खुलासा भी हुआ एवं सहकारिता विभाग की लापरवाह कार्यशैली उजागर हुई। मंत्री की कार्यवाही से विभाग के अन्य जिम्मेदारों में खलबली मच गई है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार कृषि विभाग में खाद बाबू तमाम वर्षों से जमे हुए हैं। इनकी साठगांठ थोक और फुटकर खाद विक्रेताओं से है। उन्हें संरक्षण देने के कारण खाद की कालाबाजारी हो रही है। किसान से प्रति बोरी अधिक मूल्य लिया जाता है। इसका बंटवारा जिम्मेदारों में होता है। अधिक मूल्य पर खाद बेची जा रही हैं।