बस्ती की माटी के कोहिनूर हैं,आईएएस डॉ.हीरालाल

“डायनेमिक डीएम” पुस्तक लिखकर बनाया इतिहास

डॉ.अजीत मणि त्रिपाठी, बस्ती

कौन कहता है कि आस्मां में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तबियत से उछालो तो यारों…. प्रख्यात कवि दुष्यंत कुमार की उक्त स्वर्णिम रचना जनपद बस्ती की माटी के लाल एवं प्रदेश के बहुचर्चित आईएएस डॉ.हीरालाल पर सटीक बैठती है। बस्ती की उर्वर माटी के कोहिनूर डॉ.हीरालाल वर्तमान समय में सम्पूर्ण भारत में बेस्ट सेलर पुस्तक में शामिल “डायनेमिक डीएम” से विशेष रूप से चर्चा में हैं।

बस्ती जनपद के साऊंघाट विकास खंड के बाघडीह ग्राम की पगडंडियों से निकलकर प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला सिहारी से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के सर्वश्रेष्ठ पद आईएएस को सुशोभित करने वाले डॉ. हीरालाल अपनी खांटी गंवई संस्कृति को नहीं छोड़े हैं। बेहद सामान्य परिवार में पैदा हुए डॉ. हीरालाल साल 1994 में पीसीएस की परीक्षा में 19वीं रैंकिंग प्राप्त किया था 2010 में वह प्रोन्नत करके यूपी कैडर के आईएएस बने थे।

वर्तमान समय में वह प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नेशनल हेल्थ अर्बन मिशन में अपर परियोजना निर्देशक एवं मॉडल गांव के प्रोजेक्ट सलाहकार के रूप में तैनात हैं। उन्होंने कुमुद वर्मा के साथ मिलकर प्रभात प्रकाशन के अंतर्गत ‘डायनेमिक डीएम’ नामक पुस्तक की रचना किया, जिसमें उन्होंने भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था, जिलाधिकारी के रूप में कार्य करने के विभिन्न आयाम सहित तमाम बिंदुओं को इंगित किया है। जो पाठकों को अपनी ओर खूब आकर्षित कर रही है। बिक्री के लगभग सभी प्लेटफार्म पर उपलब्ध उक्त पुस्तक में उन्होंने बांदा जनपद में तैनाती के दौरान जल संरक्षण की दिशा में किए गए बेहतरीन कार्य सहित साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनके द्वारा मतदाताओं को करीब बीस हजार स्वलिखित पत्र भेजने सहित गांव-गांव में अपनी टीम भेजकर प्रवासी मतदाताओं का मोबाइल नंबर लेकर उन्हें स्वयं फोन करके मतदान में भाग लेने के लिए आमंत्रित करना शामिल है,जिसके परिणाम स्वरूप लोकसभा चुनाव का मतदान प्रतिशत दस फीसदी से अधिक बढ़ जाना साबित हुआ। जनता ने उन्हें खुद ही डायनेमिक डीएम के नाम से पुकारना शुरू कर दिया जिसके फलस्वरूप डायनेमिक डीएम पुस्तक के लिखने की आधारशिला बन गई।

पशु चिकित्सक पिता राम अंजोर के पुत्र डॉ. हीरालाल रचनात्मक प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। नित्य नए प्रयोग करना उनके हुनर में शामिल है। एक तरफ जहां पत्नी डा.ऊषा गंगवार स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं तो बेटी प्रियल भी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है और साथ ही एकमात्र पुत्र प्रत्यूष अमेरिका में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है, फिर भी उन्होंने अपनी बस्ती की संस्कृति को खोया नहीं है, आज भी वह कुछ नया करने के लिए प्रतिपल लालायित रहते हैं।

बस्ती जनपद की धरा अपने सुत द्वारा किए जा रहे उल्लेखनीय एवं अनिर्वचनीय कार्यों को लेकर बेहद गर्वित है, वह अपने बेटे को लख-लख बधाइयां निवेदित कर रही है।

error: Content is protected !!