अजीत पार्थ न्यूज
कौन कहता है कि आस्मां में सुराख़ नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…. कविवर दुष्यंत कुमार की उक्त पंक्तियां जौनपुर जनपद के सुरेरी थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव की रहने वाली ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा के ऊपर सटीक बैठती हैं। ऐश्वर्या मिश्रा नें 4 गुणे 400 मीटर रिले स्पर्धा में महिला वर्ग में भारत के लिए रजत पदक जीता है। ऐश्वर्या के रजत पदक जीतने के बाद उनके गांव के साथ ही सम्पूर्ण जनपद में खुशी का माहौल है।
एशियन गेम्स में रजत पदक जीतने वाली ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा का अब तक का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। ऐश्वर्या के पिता कैलाश मिश्रा मुंबई में फल बेचते हैं। इसके अलावा ऐश्वर्या का भाई कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी कर रहा है।
गांव के लोगों द्वारा बताया गया कि ऐश्वर्या के पिता कैलाश मिश्रा की पढ़ाई जौनपुर से ही हुई है,लेकिन दसवीं में वह अनुत्तीर्ण हो गए, उसके बाद वह मुंबई चले गए। मुंबई में ही उन्होंने फल और सब्जी बेचने का काम शुरू किया। उसके बाद मुंबई में ही उनका विवाह हो गया।
विवाह के बाद उनके तीन बच्चे हुए जिसमें दूसरे नंबर की बेटी ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा बचपन से ही दौड़ने में काफी तेज थी। ऐसे में पिता को लगा की बेटी को पढ़ाने की साथ ही इस दिशा में भी मेहनत करने की आवश्यकता है। उन्होंने जौनपुर के ही रहने वाले सुमित सिंह द्वारा ऐश्वर्या को मैराथन में शामिल होने के लिए तैयारी कराने की बात की ।
पढ़ाई के साथ ही ऐश्वर्या लगातार मेहनत करती रही और स्कूल के साथ ही विश्वविद्यालय और अन्य स्थानों पर हमेशा चैंपियन बनती रही। मेहनत के बल पर ही ऐश्वर्या को साईं जैसे प्रतिष्ठित कैंप में जगह मिली और वह वहां तैयारी करने लगी। जौनपुर में कैलाश मिश्रा को जानने वाले लोगों का कहना है कि ऐश्वर्या नें जौनपुर का मान बढ़ाया है।
ऐश्वर्या कैलाश मिश्रा के रजत पदक जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा ट्वीट करके बधाई दी गई है। इसके अलावा ऐश्वर्या के पिता का कहना है कि ऐश्वर्या का अगला लक्ष्य ओलंपिक में पदक जीतना है। चीन से वापस लौट के बाद केवल दस दिन तक ऐश्वर्या उनके साथ रहेगी उसके बाद वह कैंप में तैयारी करने के लिए चली जाएगी।