डॉ.अजीत मणि त्रिपाठी
- आधुनिक विज्ञान के लिए चुनौतीपूर्ण प्रश्न है शिवलिंग का विकास
विज्ञान के लिए यक्षप्रश्न बना एवं आस्था पर भारी पड़ने वाला एक ऐसा शिवलिंग जिसके दर्शन मात्र से देश ही नहीं वरन विदेशी श्रद्धालु आज भी चमत्कार को नमस्कार करते हैं, उक्त शिवलिंग आस्था एवं विश्वास पर भारी पड़ते हुए प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि पर्व जौ के एक दाने के बराबर धरती का सीना चीरते हुए ऊपर बढ़ जाता है। यह मंदिर मोहल्ला ईश्वरगंगी, नहरपुरा वाराणसी में स्थित है। उक्त शिवलिंग हजारों वर्ष प्राचीन सिद्ध पीठ श्री जागेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात है। जिसकी लंबाई हर महाशिवरात्रि को जौ के बराबर अपने आप बढ़ जाती है। आदर्श संस्कृत इंटर कालेज ईश्वरगंगी, वाराणसी के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य डॉ.उमाशंकर चतुर्वेदी “कंचन” के अनुसार उक्त शिवलिंग के विषय में आम जनमानस में जो मान्यता है कि इनके दर्शन, स्पर्श एवं पूजन से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण हो जाती है और यह मेरा स्वयं का अनुभव भी रहा है। अगर कोई इस शिवलिंग का तीन साल, तीन महीने लगातार दर्शन कर ले या सिर्फ तीन महीने ही दर्शन कर ले तो उसके सारे कष्ट दूर होने के साथ हर मनोकामना भी पूर्ण हो जाता है। यह भव्य शिवलिंग जागेश्वर महादेव नाम से विख्यात है।
स्कन्दपुराण के काशी खण्ड के अनुसार जिस समय भगवान शिव काशी छोड़कर मन्दराचल पर्वत पर चले गए उसी दिन जागीषव्य मुनि नें यह दृढ़ नियम लिया था कि शिव दर्शन के बाद ही एक बूंद जल ग्रहण करूंगा। इसके बाद इनके दृढ़ योग से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और नन्दी को लीलाकमल के साथ गुफा में भेजा। जिसको स्पर्श करते ही मुनि का क्षीण शरीर पूरी तरह से ठीक हो गया, उसके बाद मुनि नें भगवान शिव से यह वरदान मांगा कि आप यहां के शिवलिंग में हमेशा आप उपस्थित रहें। इसके बाद भगवान शिव नें उन्हें यह वरदान दिया कि यह शिवलिंग दुर्लभ होगा जिसके दर्शन से मनुष्य की हर कामना पूर्ण होगी, साथ ही तुम मेरे चरणों के सपीप वास करोगे। जिसके बाद से ही हर शिवरात्रि पर शिवलिंग में जौ के समान वृद्धि होती है। मंदिर के गुफा का कोई अंत नहीं है। एक बार इस गुफा का पता लगाने के लिए खुदाई कराया गया तो यहां पर बहुसंख्य मात्रा में सांप,बिच्छू निकलने लगे कि गुफा को बंद करना पड़ा।