थ्रीपीस शूटधारी बाबा सरकारी नौकरी छोड़कर बना कथावाचक,सौ से अधिक मौतों के बाद हुआ फरार

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी

हाथरस में सत्संग के दौरान हुए दर्दनाक हादसे के बाद यह सवाल हर किसी के जेहन में है कि आखिर वह बाबा कौन है कि जिसके कार्यक्रम में इतने बड़े पैमाने में लोग जुटे और हादसे के शिकार हो गए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह सत्संग कार्यक्रम साकार विश्व हरि भोले बाबा का हो रहा था, अनुयायी इन्हें भोले बाबा के नाम से पुकारते हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, हादसे के बाद से बाबा की कोई जानकारी नहीं मिल रही है। सूत्रों के अनुसार तथा कथित बाबा तैनाती के दौरान सत्संग शुरू किया। कुछ समय बाद नौकरी से त्यागपत्र देकर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गए और पटियाली में अपना आश्रम बनाया। गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश स्थित हाथरस-एटा सीमा पर एक सत्संग के दौरान 27 लोगों की मौत हो गई। समाचार लिखे जाने तक सामने आई जानकारी के अनुसार यह सत्संग संत भोले बाबा का था। संत भोले बाबा का प्रवचन सुनने के लिए हाथरस एटा बॉर्डर के पास स्थित रतीभान पुर में बहुत बड़ी संख्या में लोग जमा थे। पंडाल में भयानक उमस और गर्मी के कारण भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी।

नारायण साकार हरि के नाम से प्रसिद्ध संत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा प्रचलित हैं। उक्त बाबा थ्री पीस सूट पहनकर भक्तों को मोहमाया से ऊपर उठकर ईश्वर की भक्ति में लीन होने का ज्ञान देते हैं।

सफेद सूट और टाई पहनकर प्रवचन देने वाले नारायण साकार हरि मूल रूप से एटा जनपद के बहादुर नगरी के निवासी हैं। वह खुफिया विभाग में सरकारी नौकरी करते थे। साल 1990 में नौकरी से इस्तीफा दिया और नौकरी छोड़ने के बाद अध्यात्म में रम गए। उक्त बाबा कोरोना काल में सत्संग करके चर्चा में आए थे। वह पत्नी के साथ मंच से प्रवचन करते हैं । सत्संग को “मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम’ कहा जाता है

नारायण हरि का कनेक्शन सियासत से भी है। कुछ मौकों पर उत्तर प्रदेश के कई बड़े नेताओं को उनके मंच पर देखा जा चुका है। इसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम भी शामिल है। उक्त हादसे की जांच के लिए एडीजी आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ की एक कमेटी बनाई गई है।

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