अजीत पार्थ न्यूज बनकटी बस्ती
जनपद के पौराणिक बाबा थालेश्वरनाथ शिव मंदिर पर भक्तों की ऐसी आस्था है कि पवित्र श्रावण महीने में गैर जनपदों से आकर श्रद्धालु नित्य अनुष्ठान करवा रहे हैं। बाबा में भक्तों की ऐसी गहरी श्रद्धा है कि मुरादें पूरी होने के बाद वह थालेश्वर नाथ शिव मंदिर पर अवश्य हाजिरी लगाते हैं।
शिव महापुराण के शिव सती खंड में उल्लिखित उक्त मंदिर पूरी दुनिया का एकलौता मंदिर है जहां पर भगवान भोलेनाथ बुढ़वा बाबा के रूप में पूजे जाते हैं और इसी के साथ एक और अनोखी बात है कि यहां पर माता पार्वती शिवलिंग रुप में प्रकट हुई हैं और उक्त मां की शिवलिंग प्रतिमा पर आज भी मुगल आतातायी औरंगजेब के तलवारों के निशान देखे जा सकते हैं।
कालांतर में घने जंगलों में स्वयंभू भगवान थालेश्वर नाथ का स्थान था, यह जगह थारू जनजाति के डीह के रूप में जाना जाता था। यहां पर थारू पूजा पाठ किया करते थे। मंदिर से पांच सौ मीटर पर समय माता का स्थान है। बुजुर्गों के अनुसार मुगलिया सल्तनत में कुछ लोग शिवलिंग की खुदाई करने लगे, लेकिन शिवलिंग के जड़ का पता नहीं चल पाया और खुदाई वाले स्थान से बहुत सारे बर्रे एवं जहरीले कीड़े निकलने लगे,जिसको देखकर खुदाई करने वाले लोग डर कर भाग गए। उसके बाद मंदिर पर क्षेत्रीय लोगों की आस्था और बढ़ गई तथा लोग विशेष पूजा अर्चना करने लगे।
अयोध्या हनुमानगढ़ी के सगरिया पट्टी से जुड़े हुए उक्त मंदिर का देखरेख एवं संरक्षण हनुमान गढ़ी अयोध्या से होता है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका के निवासी नागा संन्यासी बाबा वासुदेव दास नें थालेश्वर नाथ शिव मंदिर की महिमा को जानते हुए यहां पर करीब पचास वर्षों तक तपस्या किए थे। उनके शिष्य आज भी यहां पर मन्नत मांगने आते हैं।
स्वयंभू भगवान थालेश्वर नाथ के वर्तमान महंत रामदास के मुताबिक यहां पर गोंडा, अयोध्या, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, संत कबीर नगर, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया सहित बिहार के श्रद्धालु अपनी मनौती मांगने आते हैं और मन्नत पूरी होने पर वह मंदिर पर विभिन्न अनुष्ठान करवाते हैं।