सुदामा चरित्र का निहितार्थ जिसनें समझ लिया, वह भवबंधन से मुक्त हो गया

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी अयोध्या

स्थानीय छोटी देवकाली मंदिर परिक्षेत्र में बस्ती जनपद के दुधौरा ग्राम निवासी अवकाश प्राप्त इंस्पेक्टर हृदय प्रसाद उपाध्याय द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें कथा के विश्राम के दिवस बुधवार को कथावाचक आचार्य नरेंद्र देव किसान स्नातकोत्तर महाविद्यालय बभनान गोंडा के प्रोफेसर अखिलेश्वर प्रसाद शुक्ला नें उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा का पान कराते हुए बताया कि सुदामा कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, सुदामा जैसा व्यक्ति युगों-युगों में कभी-कभी जन्म लेते हैं। वर्तमान भौतिकवादी युग में एक तरफ जहां लोग स्वयं को दिखाने के लिए उतावले रहते हैं, वहीं सुदामा ने अपने समस्त तपस्या को मित्र धर्म के लिए त्याग दिया। मित्रता की पराकाष्ठा अगर समझना है तो कृष्ण और सुदामा की मिताई से समझना चाहिए। गुरु माता नें जो भूनें हुए चनें पोटली में बांधकर दिए थे वह श्रापित चने थे और दरिद्रता की अंतिम पायदान पर पहुंचाने वाले थे।

युग दृष्टा सुदामा इस बात को समझ गए थे और उन्होंने मित्र धर्म का पालन करने के हेतु जो कि कृष्ण की दरिद्रता के लिए चने दिए गए थे उस चने की पोटली में से उन्होंने स्वयं चने खाकर मित्र को प्राप्त होने वाली दरिद्रता को अपना लिया। सुदामा साक्षात भगवान कृष्ण के साथी थे, वह चाहते तो बहुत कुछ उनसे मांग सकते थे, किंतु सुदामा नें कभी कृष्ण से याचना नहीं किया। उन्होंने कृष्ण की हर पल सुरक्षा एवं संवर्धन किया।

इस दौरान कथा व्यास नें श्रद्धालुओं को कथा का विस्तार बताते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत कथा के उद्धरण को हमें समझना चाहिए, माता रूक्मणी भगवान श्री कृष्ण की पटरानी थी, किंतु उन्होंने सुदामा द्वारा द्वारिका में लाए गए तीन मुट्ठी चावलों को खाते समय भगवान का हाथ पकड़ लिया। रुक्मिणी के अनुसार प्रभु अगर आप सभी तीनों मुट्ठी चावल खा जाएंगे, तो हम लोग कहां रहेंगे, उसी समय भगवान श्री कृष्ण नें रुक्मिणी को श्राप दिया कि भले ही आप मेरी पटरानी हो, लेकिन आप कभी भी हमारे संग पूज्य नहीं होगी।

भगवान श्रीकृष्ण नें भावी पीढ़ी की स्त्रियों को संदेश दिया कि पति अगर दान और पुण्य क्षेत्र में कार्य कर रहा है तो पत्नियों को उनके हाथ नहीं रोकना चाहिए। इस दौरान उन्होंने बहुत ही सरस कथा का भावानुवाद श्रद्धालुओं को श्रवण कराया।

कथा में प्रमुख रूप से सुनील उपाध्याय, पंकज दुबे, उदय नारायण उपाध्याय, नीरज सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष अवध केशरी सेना,अवध केशरी सेना प्रमुख ठाकुर नीरज सिंह, राष्ट्रीय संयोजक संतोष सिंह, राष्ट्रीय संरक्षक राम नरेश पांडेय, राघवेंद्र प्रताप सिंह, प्रदेश अध्यक्ष सूरज उपाध्याय, प्रदेश उपाध्यक्ष अखंड प्रताप सिंह, प्रदेश महामंत्री दीपक गिरी, प्रदेश सचिव सुनील गिरी, प्रदेश सहसंयोजक सुनील सिंह, मंडल सचिव आशीष शुक्ला, मंडल अध्यक्ष बालमुकुंद तिवारी, प्रदेश सहसचिव प्रवीन सिंह, पालू पांडेय, अमरीश पाण्डेय, राहुल उपाध्याय सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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