पं. मदनमोहन मालवीय के पौत्र न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय का हुआ निधन

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के संस्थापक, प्रख्यात अधिवक्ता एवं पत्रकार महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के पौत्र और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जस्टिस गिरधर मालवीय का सोमवार की सुबह प्रयागराज के जॉर्जटाउन स्थित एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। जस्टिस गिरधर मालवीय का आवास भी जॉर्जटाउन में ही है। बीएचयू, वाराणसी के चांसलर रहे गिरधर मालवीय लोकसभा चुनाव-2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी थे। वह 14 मार्च 1988 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति बने। नवंबर 2018 में वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के चांसलर बनें और गंगा महासभा के अध्यक्ष भी रहे। प्रयागराज स्थित सेवा समिति इंटर कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष पद का दायित्व भी उनके पास था।

वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। अंतिम बार विगत वर्ष बीएचयू में हुए दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे। इसके बाद वह स्वास्थ्य कारणों से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उनके पुत्र पश्चिम बंगाल के पूर्व डीजीपी व पश्चिम बंगाल राज्य पुलिस के सलाहकार मनोज मालवीय अपने पिता के निधन के वक्त मौजूद थे। उनकी दोनों पुत्रियां वर्तमान समय में शहर से बाहर हैं।

जस्टिस मालवीय के निधन की खबर सुनकर उनके आवास पर करीबियों की भीड़ जुट गई। जस्टिस गिरधर मालवीय के करीबियों में शामिल बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो.जीसी त्रिपाठी का कहना है कि जस्टिस मालवीय हमेशा मदन मोहन मालवीय के विचारों और सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति रहे। उनका जाना हम सभी के लिए अपूर्णनीय क्षति है। प्रो. त्रिपाठी नें बताया कि जस्टिस मालवीय का अंतिम संस्कार 19 नवंबर को रसूलाबाद घाट पर होगा।

गिरधर मालवीय का जन्म 14 नवंबर को वाराणसी में हुआ था। चार दिन पहले ही उनका जन्मदिन था। वह महामना मदन मोहन मालवीय के पौत्र गोविंद मालवीय के इकलौते पुत्र थे। उनकी शुरुआती शिक्षा वाराणसी के बेसेंट थियोसोफिकल स्कूल में हुई। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चिल्ड्रंस स्कूल से कक्षा 10 की पढ़ाई की। 1957 में गिरधर ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक साथ विधि स्नातक और एमए राजनीति शास्त्र में प्रवेश लिया।

1960 में वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू किया। शुरुआती दौर में पिता के अस्वस्थ रहने के कारण गिरधर ने एक वर्ष दिल्ली में सरदार ज्ञानसिंह वोहरा के साथ तीस हजारी कोर्ट में और 1961 में पिता के निधन के बाद प्रयागराज आकर 1965 तक इलाहाबाद जिला कचहरी में पंडित विश्वनाथ पांडेय और सत्यनारायण मिश्र के साथ रहकर वकालत शुरू की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस सुरेंद्र सिंह का कहना है कि जिस वक्त गिरधर मालवीय जी डिप्टी गवर्मेंट एडवोकेट थे तब वह ब्रीफ होल्डर हुआ करते थे। अलग-अलग तरह के कामों में उन्होंने बहुत मदद की। अच्छे से समझाया, बताया। जब मालवीय जी जज एलीवेट हो गए तो उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से भूमिका निभाई। बेहतरीन तरीके से काम किया। सेवानिवृत होने के बाद वह रिटायर्ड जज एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। मुझे भी सचिव बनाया। आज वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके काम उनकी यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।

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