अजीत पार्थ न्यूज
उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी का 86 वर्ष की आयु में मंगलवार की शाम को निधन हो गया। उनके निधन से समर्थकों सहित उनके तमाम चाहने वालों में निराशा छा गई है। निधन की सूचना मिलते ही उनके घर और गोरखपुर तिवारी हाता पर समर्थकों की भीड़ जुट गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गोरखपुर जनपद के चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र के चुनाव का इतिहास खंगालने पर वयोवृद्ध बाहुबली हरिशंकर तिवारी का नाम बार-बार उभरकर सामने आता है। हरिशंकर तिवारी इस सीट से लगातार 22 वर्षों (1985 से 2007) तक विधायक रहे हैं।
पहला चुनाव 1985 में निर्दलीय लड़ा था, फिर अलग-अलग राजनीतिक दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीतते रहे हैं। वह लगातार छः बार विधायक रहने के साथ-साथ तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते और उत्तर प्रदेश की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने थे। 2007 के चुनाव में बसपा नें राजेश त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया, उक्त चुनाव में पंडित जी के नाम से मशहूर हरिशंकर तिवारी चुनाव हार गए, पुनः 2017 के चुनाव में उनके छोटे पुत्र विनय शंकर तिवारी बसपा के टिकट पर चुनाव जीत गए।
हरिशंकर तिवारी के बड़े पुत्र भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी बसपा से खलीलाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए थे। अस्सी के दशक में बीरेंद्र प्रताप शाही और हरिशंकर तिवारी का रेलवे के ठेके को लेकर छिड़ी जंग में कई लोगों नें जान से हाथ धोया था। बाद में हरिशंकर तिवारी की पहचान उत्तर प्रदेश के बड़े ब्राह्मण नेताओं में होने लगी। 2022 के विधानसभा चुनाव के पूर्व पूरा परिवार समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया था।