चार दशक बाद परिवार वालों से मिली गीता,परिजनों नें खुशी से गले लगाया, मुंबई से लेकर आई टीम 

अजीत पार्थ न्यूज बस्ती

जनपद के छावनी थाना अंतर्गत पूरे दीवान ग्राम की गीता पुत्री सोमई जो विगत करीब चार दशक पूर्व मानसिक हालात ठीक नहीं होने पर अपने दो बच्चों के साथ घर से चली गई थी। घर से निकली गीता सूरत गुजरात पहुंच गई। गीता के दोनों बच्चों के बारे में कोई जानकारी अभी भी नहीं मिल पायी है। गुजरात में सड़कों पर महिला दिमाग के रूप से विचलित होकर इधर-उधर रह रही थी। विगत 23 नवम्बर 2024 को जय अंबे मंदबुद्धि महिला समाज सेवा ट्रस्ट सूरत गुजरात नें महिला को अपनी संस्था में ले गयी। जहां गीता के दिमाग की दवा तथा रहने-खाने का निःशुल्क व्यवस्था किया गया तथा कुछ सुधार होने पर 25 अप्रैल 2025 को अंबे मंदबुद्धि महिला समाज सेवा ट्रस्ट सूरत गुजरात नें मुम्बई की श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन को सौंपा दिया। जहाँ से गीता को रेस्क्यू कर उसका अच्छे से निःशुल्क मानसिक इलाज किया गया। गीता की मानसिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। गीता का इलाज श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन के फाउंडर ट्रस्टी और मनोचिकित्सक डा.भरत वाटवानी के देखरेख में हुआ।

सोशल वर्कर रीना ने गीता की काउंसलिंग किया। जब गीता की मानसिक स्थिति ठीक हुई तो, उसनें स्वयं को उत्तर प्रदेश का निवाऐ बताया। फाउंडेशन की टीम की रीना नें गीता को लेकर बस्ती जिले के छावनी थाने पर पहुंची। रीना नें छावनी पुलिस को पूरी जानकारी दिया। जिस पर छावनी पुलिस के उपनिरीक्षक रामकुमार पासवान व महिला आरक्षी प्रभा पाण्डेय व मुम्बई से फाउंडेशन टीम की रीना गीता को लेकर पूरेदिवान गांव जो गीता के मायके पहुँची। जहाँ पर भाई काशीराम तथा पूरा परिवार दिलीप, शेषराम, रिंकी, राज बहादुर ने गीता से मिलकर मुम्बई की फाउंडेशन टीम की सोशल वर्कर रीना का परिजनों ने धन्यवाद ज्ञापित कर आभार जाताया।

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