∆∆•••कोरोना त्रासदी में अजीत पार्थ न्यूज समाचार पत्र नें युवक की मौत को विशेष रूप से किया था प्रकाशित
डा.अजीत मणि त्रिपाठी
बचपन से एक साथ खेलकूद कर पले-बढ़े बनकटी क्षेत्र के बरहुआ ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम देवरी निवासी दो युवकों की दोस्ती पर आधारित धर्मा प्रोडक्शन के तहत बनीं फिल्म ‘होम बाउंड’ अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में ऑस्कर के लिए नामित हुई है। उक्त फिल्म में अभिनेता विशाल जेठवा, ईशान खट्टर और जान्हवी कपूर नें जीवंत भूमिका का निर्वहन किया है।
कोरोना काल में अजीत पार्थ न्यूज में प्रकाशित खबर की कटिंग
कहानी शुरू होती है बस्ती जनपद के बनकटी विकास खंड के बरहुआ बाजार के राजस्व ग्राम देवरी से जहां के निवासी अमृत प्रसाद व मोहम्मद सय्यूब गरीबी से तंग होकर परिवार की माली हालत को देखते हुए गुजरात के सूरत शहर में कमाने के लिए जाते हैं, जहां पर उन्हें टेक्सटाइल कंपनी में मजदूर का काम मिलता है। इसी बीच साल 2020 में पूरी दुनिया में कोरोना की त्रासदी आ जाती है और उसके चपेट में उक्त दोनों युवक भी आते हैं। सभी काम धंधे बंद होने के बाद सब लोग किसी तरीके से अपने घर वापसी होना चाहते हैं।
इस दौरान गुजरात के सूरत शहर से चले अमृत प्रसाद और मोहम्मद सय्यूब ट्रक से बैठकर अपने गांव आ रहे होते हैं कि इसी दौरान 16 मई 2020 को अमृत प्रसाद की तबियत ज्यादा खराब हो जाती है और ट्रक चालक नें उसे मध्य प्रदेश के शिवपुरी जनपद में सड़क के किनारे छोड़ देता है, जहां से किसी प्रकार एंबुलेंस की सहायता से अमृत प्रसाद को झांसी के अस्पताल में पहुंचाया जाता है और अस्पताल में इलाज के दौरान अमृत की मौत हो जाती है।
इस दौरान उसका साथी मोहम्मद सय्यूब उसका साथ नहीं छोड़ता है और अस्पताल प्रबंधन द्वारा मृतक के स्वाब के नमूने को जांच के लिए भेजा जाता है, जांच में मृतक अमृत कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है। युवक के मौत की सूचना प्रशासन द्वारा देवरी ग्राम में दिया जाता है। जहां पर घर की माली हालत ठीक नहीं होने पर पिता रामचरन द्वारा अपने बेटे के शव को प्रशासन द्वारा भेजने की बात की जाती है और आखिरकार मौत के तीसरे दिन 19 मई 2020 को अमृत का शव उसके पैतृक गांव देवरी लाया जाता है और उसी एंबुलेंस में उसका साथी मोहम्मद सय्यूब भी आता है। परिवार की स्थिति ठीक न होने की वजह से गांव के बाग में अमृत को दफन कर दिया जाता है।
उक्त कहानी की एक फोटो किसी नें खींच लिया था, जिसमें मोहम्मद सय्यूब की गोद में अमृत प्रसाद सड़क पर पड़ा हुआ है, जिसको तत्कालीन न्यूयॉर्क टाइम्स नें अपने अंक में प्रकाशित किया था।
ट्रक चालक द्वारा अमृत प्रसाद को सड़क के किनारे उतारने के बाद ली गई फोटो
फिलहाल दो साथियों के संघर्ष की कहानी को जानने के बाद धर्मा प्रोडक्शन की टीम नें देवरी ग्राम में मृतक के पिता रामचरन से संपर्क किया और उन्हें दस हजार रुपये देकर कुछ फोटोग्राफ तथा कहानी से संबंधित कुछ जानकारियां प्राप्त किया। बाकौल मृतक के पिता रामचरन का कहना है कि उनका बेटा अमृत मात्र कक्षा 8 पास था और 14 साल की अवस्था में ही वह परिवार की माली हालत को देखते हुए सूरत शहर में कमाने के लिए चला गया था।
फाइल फोटो- मृतक अमृत लाल
वह वहां से अपनी मेहनत की कमाई में से दस हजार रुपये प्रति माह घर भेजता था, जिससे घर का खर्च चलता था। रामचरन के कुल 7 बच्चे थे, जिसमें से एक की मौत हो गई है और एक वर्तमान समय में बाहर कमाता है। बाकी परिवार घर पर ही रहता है और रामचरन गांव में मात्र दो-तीन हजार रुपये की पूंजी से गुटखा,टाफी इत्यादि की दुकान चलाते हैं। घटना के बाद मृतक अमृत का दोस्त मोहम्मद सय्यूब पासपोर्ट और वीजा बनवाकर दुबई में पुनः मजदूरी के लिए चला गया है। फिलहाल उक्त कहानी की क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चा है।