जानिए अयोध्या में कब से है चौदह एवं पंचकोसी परिक्रमा ? क्या है परिक्रमा का नियम

अजीत पार्थ न्यूज की विशेष रिपोर्ट

सप्तपुरियों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली अयोध्याधाम में कार्तिक मास के अक्षय नवमी से 14 कोसी एवं पंचकोसी परिक्रमा का विधान है। यह परिक्रमा संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है और इसमें भारत के कई राज्यों से लेकर नेपाल तक के श्रद्धालु सहभागिता दर्ज कराते हैं। प्रभु राम की जन्मस्थली अवधपुरी में पुण्य सलिला सरयू नदी के स्नान के पश्चात प्रारंभ होने वाली चौदह कोसी एवं पंचकोसी परिक्रमा काफी शुभ फलदायी होने के साथ-साथ जन्म-जन्मांतर तक किए गए यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त कराने वाली होती है।

अयोध्या प्रशासन के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा स्नान में करीब 30 से 40 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास में देवउत्थानी एकादशी के दिन पंचकोसी परिक्रमा प्रारंभ होती है। इस वर्ष यह परिक्रमा 1 नवंबर को प्रातः4 बजकर 02 मिनट से प्रारंभ होकर, 2 नवंबर प्रातः 2 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। इसी के साथ 14 कोसी परिक्रमा आगामी 30 अक्टूबर 2025 को प्रातःपौने पांच बजे से प्रारंभ होकर 31अक्टूबर सुबह 4:41 पर संपन्न होगी। मान्यता है कि 14 कोसी परिक्रमा करने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को आत्मिक रूप से शुद्धता प्राप्त होती है और वह पापों से मुक्त होता है। 14 कोसी परिक्रमा करीब 42 से 45 किलोमीटर तक अयोध्या नगर की चारों ओर होती है। जबकि पंचकोसी परिक्रमा अयोध्या धाम क्षेत्र के अंदर करीब 10 से 15 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

श्रद्धालु इन परिक्रमाओं में प्रभु की भक्ति में लीन होकर अपने पग को बढ़ाते हैं, धार्मिक मान्यता है कि इस परिक्रमा में शरीर के पांचो तत्वों की शुद्धि होती है और कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं। परिक्रमा के नियम के मुताबिक परिक्रमा प्रारंभ करने से पहले श्रद्धालुओं को पुण्य सलिला सरयू नदी में स्नान करना अनिवार्य होता है। इसके बाद वह एक निश्चित स्थल से जय श्री राम का उद्घोष करते हुए परिक्रमा प्रारंभ करते हैं। परिक्रमा के दौरान भक्ति और प्रभु के स्मरण को बनाए रखना अति आवश्यक होता है। इस दौरान सात्विक भोजन जैसे फल, मेवा और मिठाई का सेवन किया जाता है। परिक्रमा पूरी करने के पश्चात उसी स्थान पर वापस लौटते समय श्रद्धालु पुनः जय श्री राम का उद्घोष करते हैं और अवध धाम के प्रमुख मठ मंदिरों में दर्शन पूजन करते हैं।

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