बस्ती रिंग रोड के लिए अभी तक मात्र चालीस फीसदी मुआवजा का हुआ वितरण, अपेक्षा के अनुरूप कार्य बाधित

बस्ती

विगत दो वर्षों से शहर के चारों तरफ रिंग रोड बनने का इंतजार हो रहा है। महानगरों की तरह घुमावदार चमकती हुई सड़क का स्वरूप देखने के लिए लोग लालायित है। लेकिन, यह पूरी परियोजना भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया से आगे नहीं निकल पाई है। धन उपलब्ध होने के बाद भी छः महीने में बमुश्किल बीस गांवों में ही अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी तक पूरी की जा सकी है। चौंतीस ग्रामों में मुआवजा बंटना अभी भी शेष रह गया है। यदि मुआवजा वितरण का रफ्तार इसी तरह बना रहा तो 2024 में रिंग रोड के निर्माण का शुभारंभ नहीं हो पाएगा।

रिंग रोड परियोजना के प्रथम फेज की सड़क बनाने के लिए 54 गांवों में कुल 111 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। इसी साल जनवरी में अधिग्रहित क्षेत्र की जमीनों की अवार्ड प्रक्रिया पूरी कर ली गई। तय हुआ कि इन गांवों के 8 हजार काश्तकारों को जमीन के चिह्नांकन से लेकर मूल्यांकन तक की अवधि तक एक साल का ब्याज सहित मुआवजा दिया जाएगा। कार्यदायी एजेंसी केंद्रीय राज्य सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से किश्तों में तीन सौ करोड़ रुपये विशेष भूमि आधिपत्य कार्यालय को उपलब्ध करा दिए गए। फरवरी से मुआवजा वितरण शुरू हुआ। दावा किया गया एक दो महीने में मुआवजा वितरित कर अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद निर्माण का रास्ता साफ होगा। मगर छः महीने बीतने के बाद भी यह कार्य पूर्ण नहीं हो सका। धरातल पर रिंग रोड निर्माण की चहलकदमी न होने से लोग असमंजस में है। जबकि यह परियोजना तत्कालीन सांसद हरीश द्विवेदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी रहा है। अभी तक 54 में से बमुश्किल 20 गांवों में अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो सकी है। कुल सवा करोड़ रुपये तक मुआवजा बंट पाया है। मुआवजे का पौने दो करोड़ रुपये अभी शासकीय कोष में डंप है। जबकि शेष 34 गांवों के काश्तकार मुआवजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

प्रथम फेज का रिंग रोड बनाने के लिए 22.5 किमी लंबाई में 45 से 60 मीटर चौड़ाई में जमीन चिह्नित की जा रही है। 111 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि जरूरी है। इसमें 22 मीटर चौड़ी फोरलेन सड़क बनेेगी। सड़क के दोनों तरफ 11.5, 11.5 मीटर जमीन खाली छोड़ी जाएगी। जहां ओवरब्रिज या अंडरपास की जरूरत है वहां 60 मीटर जमीन अधिग्रहित की जा रही है। जमीनों के मुआवजा समेत सड़क की कुल लागत 1138.32 करोड़ रुपये निर्धारित है।

शहर के चारों तरफ प्रस्तावित रिंग रोड तैयार होने के बाद इस पर चलने वालों को टोल टैक्स भी देना होगा। कटया गांव में टोल प्लाजा का निर्माण प्रस्तावित है। यहां फोरलेन सड़क और टोल प्लाजा के लिए 60 मीटर जमीन अधिग्रहित की जा रही है।

काश्तकारों को मुआवजा के लिए विशेष भूमि आधिपत्य कार्यालय में जमीन से संबंधित स्टांप पेपर, खतौनी, लेखपाल द्वारा प्रत्येक गाटे में संबंधित काश्तकार के अंश निर्धारण की रिपोर्ट, आधार, पैन, बैंक पासबुक की छाया प्रति अनिवार्य रूप से जमा करना है। इसके बाद ही मुआवजे की निर्धारित धनराशि का भुगतान हो पा रहा है। इसमें अंश निर्धारण की रिपोर्ट तैयार करा पाना सबसे कठिन है। कई- कई गाटों में हिस्सेदार ज्यादा होने से अंश निर्धारण में समय लग रहा है। इसके अलावा न्यायालयों में विचाराधीन जमीन का प्रकरण मामले को और उलझाए हुए है।

सदर तहसील के ग्राम पंचायत बकैनियाद्वीप, बक्सर, बल्लीपट्टी, बनकटा, बरवनियां, बायपोखर, बेलवाडाड़, भदेश्वरनाथ, भटहा, देवराव खास, देवरिया, डीघा, गोटवा, कड़रखास, कटया, खुटहन, कोपवा, कोपिया, मछिया, निविया, नौगढ़, ओठगनपुर कला, पचौरा, परसाजाफर, परसा डफाली, परसादपुर, पिपरा मेघउ, पोखरभिटवा, पुरैना, राजा चक, राजाजोत, रिठौली, सबदेइया कला, समसपुर व सेखुई आदि ग्राम पंचायत शामिल हैं।

प्रस्तावित रिंग रोड के लिए प्रतिदिन 25 से 30 काश्तकारों में मुआवजा वितरित किया जा रहा है। सही ढंग से जांच पड़ताल करने के बाद ही काश्तकारों को मुआवजा दिलाया जा रहा है। ताकि बाद में कोई शिकायत न रहें। इसलिए मुआवजा वितरण में देरी हो रही है। पूरी कोशिश है कि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाए।
रवीश गुप्ता, जिलाधिकारी बस्ती

error: Content is protected !!