ज्यादा अल्ट्रासाउंड स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक, सामान्य पेट दर्द से न घबराएं गर्भवती महिलाएं

बस्ती

गर्भवती महिलाओं कोे सुरक्षित प्रसव कराने के लिए बार बार अल्ट्रासाउंड कराने से बचना चाहिए, क्योंकि गर्भधारण से लेकर प्रसव तक केवल फोर स्टेप में ही अल्ट्रासाउंड पर्याप्त होता है। बहुत गंभीर स्थिति में ही इससे अधिक बार अल्ट्रासाउंड जांच की जरूरत पड़ती है। अक्सर सामान्य पेट दर्द पर भी गर्भवती महिलाएं घबरा जाती है और चिकित्सक से अल्ट्रासाउंड जॉच कराने की जिद करती है। जबकि चिकित्सकों का मानना हैं कि गर्भवती होने के दौरान सामान्य पेट दर्द होना स्वाभाविक है। इससे घबराकर अल्ट्रासाउंड बार-बार नहीं कराना चाहिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक है कि गर्भवती महिलाओं का चार स्टेप में अल्ट्रासाउंड होना चाहिए। जिला महिला चिकित्सालय में तैनात सोनोलॉजिस्ट/ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष शर्मा कहते हैं कि गर्भधारण से लेकर प्रसव तक महिलाओं में सामान्य पेटदर्द की समस्या बनी रहती है। जब बच्चा गर्भ में आता है तो शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। भ्रूण के विकसित होने की दशा में भी पेट दर्द संभव है। गर्भवती महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड के मुख्यत: चार स्टेप है। पहली बार डेटिंग स्कैन होता है। इसमें पेट में पल रहे बच्चे की वास्तविक आयु का पता चलता है। यह छः से आठ हफ्ते के बीच कराना चाहिए। दूसरा अल्ट्रासाउंड जांच ग्यारह से चौदह सप्ताह के दौरान होता है। इसमें नेजल बोन और न्यूकल ट्रांसलेसेंसी स्कैन किया जाता है। इससे गुणसूत्रों के कारण गर्भ में पल रहे बच्चेे में बीमारियाें का पता चलता है। तीसरा अल्ट्रासाउंड जांच और अहम हो जाता है। अट्ठारह से बाइस सप्ताह के दौरान लेवल-टू स्कैन किया जाता है। इस जांच को एनामोली स्कैन या टीफा भी कहते हैं। इसमें सिर से पैर तक बच्चे के एक-एक अंग देखे जाते हैं। यदि बच्चे में किसी तरह की विकृति हैं तो इस स्कैन से यह पकड़ में आ जाता है। ज्यादा विकृति होने पर गर्भ सफाई कराने की सलाह दे दी जाती है। इससे जच्चा को सुरक्षित किया जा सकता है। इस परिस्थिति में दो डॉक्टरों का पैनल गर्भ की सफाई सुनिश्चित करता है। चौथे स्टेप का अल्ट्रासाउंड अट्ठाईस सप्ताह बीतने के बाद होना चाहिए। इसमें यह स्पष्ट होता है कि गर्भ में पल रहा बच्चा अच्छे ढंग से विकसित हो रहा है अथवा नहीं। इसके बाद अल्ट्रासाउंड की जरूरत नहीं पड़ती है। एहतियातन छत्तीस से सैंतीस सप्ताह में पांचवीं बार अल्ट्रासाउंड करा लिया जाता है। लेकिन, इसकी जरूरत है या नहीं यह चिकित्सक पर निर्भर करता है।

गर्भपात कराने के दौरान महिलाओं को सजग रहना चाहिए। बिना कुशल चिकित्सक के परामर्श के गर्भपात से बचा जाए। अक्सर सुनने में आता है कि महिलाएं दुकानदार या स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों की सलाह पर एमटीपी किट का सेवन कर लेती है। यह कभी-कभी खतरनाक बन जाता है। गर्भपात के लिए एमटीपी किट का उपयोग केवल सात हफ्ते के भीतर ही किया जा सकता है। इसके बाद इसका सेवन करने से जानमाल को खतरा रहता है।

गर्भवती होने के दौरान महिलाओं को ब्लड प्रेशर और वजन का चेकअप नियमित कराना चाहिए। गर्भ धारण करने के दौरान रक्तचाप बढ़ने से महिलाओं में एक्लैम्पिसिया यानी झटके आने की बीमारी शुरू हो जाती है, यह नुकसानदेह है। जबकि गर्भधारण से प्रसव तक महिलाओं का वजन आठ से बारह किलोग्राम बढ़ता है। गर्भवती महिलाओं को फोलिक एसिड का सेवन नियमित करना चाहिए। इससे तमाम संभावित खतरे टल जाते हैं।

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