वीरांगना तलाश कुंअरि जिला महिला अस्पताल में एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगने के बाद बिगड़ थी गई 55 प्रसूताओं की हालत
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वीरांगना तलाश कुंअरि जिला महिला चिकित्सालय का प्रकरण डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला वाराणसी की रिपोर्ट आने तक ठहर गया है। इससे इतर अन्य किसी पहलू पर जांच नहीं की जा रही है। अधिकारियों को भी प्रयोग में लाए गए एंटीबायोटिक इंजेक्शन की गुणवत्ता पर ही संदेह है। इसलिए प्रसूताओं की हालत बिगड़ने के तुरंत बाद अस्पताल में उपलब्ध संबंधित इंजेक्शन की सैंपुलिंग कराई गई। अगले दिन औषधि निरीक्षक अरविंद कुमार खुद सैंपुल के साथ वाराणसी प्रयोगशाला पहुंचे। इसे जमा करके वह लौट भी आए हैं। अब विभाग केवल प्रयोगशाला से रिपोर्ट मिलने का इंतजार कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि महिला अस्पताल में गुरुवार की रात करीब दस बजे के बाद आपरेशन से बच्चा जनने वाली प्रसूताओं की हालत बिगड़ गई थी। इसके बाद स्वास्थ्य टीम को बचाव कार्य में उतरना पड़ा। हालांकि करीब एक-दो घंटे अफरा-तफरी मचने के बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई थी। लेकिन, इस घटना की वजह 48 घंटे व्यतीत हो जाने के बाद भी विभाग स्पष्ट नहीं कर पा रहा है। घटना के बाद पहुंचे जिलाधिकारी एवं अन्य आला अधिकारियों के सामने सरकारी आपूर्ति की जिस सेफ्रट्रिएक्जोन एंटीबायोटिक इंजेक्शन का प्रसूताओं पर उपयोग की बात सामने आई अस्पताल प्रबंधन उसी की गुणवत्ता पर संदेह करके रह गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर अस्पताल में उपलब्ध संबंधित इंजेक्शन को तत्काल प्रतिबंधित कर इसका सैंपुल वाराणसी प्रयोगशाला में भेज दिया गया। इसी के बाद यह प्रकरण शांत हो गया। इसके अलावा किसी तरह की जांच टीम नहीं गठित हुई। विभाग प्रयोगशाला के रिपोर्ट मिलने के इंतजार में हैं। सीएमओ डॉ.आरएस दुबे के अनुसार घटना के तत्काल बाद प्रत्येक पहलू पर जांच की गई। अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और स्टॉफ नर्स ने निर्धारित डोज के अनुरूप ही प्रसूताओं को इंजेक्शन दिया था। इसकी आपूर्ति कारपोरेशन ड्रग वियर हाउस लखनऊ से एक सप्ताह पहले ही कराई गई थी। इसकी एक्सपायरी भी अभी समाप्त नहीं हुुई थी। फिलहाल प्रथम दृष्टया स्टॉफ की लापरवाही सामने नहीं आई है। कुल मिलाकर इंजेक्शन की गुणवत्ता की जॉच रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा।
जिस एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाने के बाद मरीजों की हालत बिगड़ी वह सील बंद उनके पास तक नहीं पहुंचा था। स्टॉफ रूम में पाउडर फार्म के इस इंजेक्शन कोे डायलूट कर तैयार किया गया। इसके बाद सिरिंज में भरकर महिला स्टॉफ मरीजों के पास पहुंची। विगो के जरिये मरीजों को इंजेक्शन लगाया गया। ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक सुबास नें बताया कि इंजेक्शन तैयार करने में समय लगता है। इसलिए इसे पहले तैयार किया जाता तब मरीजों को लगाया जाता है।
एंटीबायोटिक इंजेक्शन की गुणवत्ता रिपोर्ट सप्ताह भर के भीतर पहुंचने की उम्मीद है। औषधि निरीक्षक अरविंद कुमार नें बताया कि वह खुद शुक्रवार को सैंपुल लेकर वाराणसी लैब पहुंचे थे। चूंकि जॉच में 4 से 5 दिन का समय लगता है इसलिए इसे जमा करके वह लौट आए हैं। अधिकतम एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मिल जाएगी। स्थानीय स्तर की जांच में दवा की एक्सपायरी नहीं मिली है।
महिला अस्पताल में गुरुवार की रात सीजर से डिलीवरी कराने वाली प्रसूताओं को एंटीबायोटिक इंजेक्शन का डोज दिया गया। इसके कुछ ही देर यहां भर्ती 70 में से 55 प्रसूताओं की हालत बिगड़ गई। कंपकंपी के साथ उन्हें तेज बुखार आ गया। इसके बाद अस्पताल में कोहराम मच गया। जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी समेत बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स पहुंची। चिकित्सीय टीम नें प्रभावित मरीजों का तत्काल इलाज शुरू किया। कुछ देर बाद मरीजों की हालत सामान्य हुई।
संबंधित एंटीबायोटिक इंजेक्शन का सैंपुल वाराणसी लैब में जांच के लिए भेजा गया है। इसकी गुणवत्ता की रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ स्पष्ट हो सकेगा।
डॉ. आरएस दुबे, सीएमओ।