जन्म-मरण से मुक्ति का द्वार खोलती है श्रीमदभागवत कथा: डॉ.अनुरंजिका चतुर्वेदी

रिपोर्ट- अविनाश चतुर्वेदी “चंदन”

जनपद प्रयागराज के मेजा तहसील क्षेत्र के कठौली ग्राम में चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिन काशी से पधारी कथा-व्यास डॉ.अनुरंजिका चतुर्वेदी नें कहा कि जीवन में कभी भी किसी को छोटा समझने का प्रयास नहीं करना चाहिए। सभी हैण्ड पम्प देखने में जमीन से ऊपर ढाई फिट ही दिखाई देते हैं, किन्तु सभी का जल एक जैसा नहीं होता, उसका जल पीने पर पता चलता है कि किसकी बोरिंग कितनी गहरी है, ठीक वैसे ही लघु से लघु व्यक्ति भी कितना बृहद हो सकता है, यह ज्ञान राजा बलि के समक्ष उपस्थित भगवान वामन के तीन पग से शिक्षा प्राप्त कर लेना चाहिए । अतः किसी के कद काठी का आकलन कर कभी भी हल्के में लेकर उसका उपहास नहीं उड़ाना चाहिए।

डॉ.अनुरंजिका नें उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा का विस्तार करते हुए बताया कि “विष्णोर्माया भगवती यया सम्मोहितं जगत्” इससे सिद्ध होता है कि संसार का प्रत्येक व्यक्ति प्रारब्ध के कर्मानुसार भोग भोगता है और यह जानते हुए भी कि यह मानव शरीर सिर्फ जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति होने के लिए ईश्वर कृपा से प्राप्त हुआ है, तब भी वह अहंकार के वशीभूत होकर अहं ब्रह्मास्मि समझ बैठता है और लीक से हटकर अपना शासन चलाने लगता है और धर्म को हानि पहुंचाने लगता है। तब परमात्मा को विविध रूप धरकर पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ता है, कुछ ऐसी ही परिस्थिति में कंस के आचरण पर परब्रह्म श्री कृष्ण को कारागार में अवतरित होना पड़ा।

कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में मुख्य यजमान सुषमा शर्मा पत्नी सुभाषचन्द्र शर्मा, सविता शर्मा पत्नी स्व.जालेन्द्र, अंकिता, शुभम्, प्रिया, निशांत सहित ग्राम प्रधान हरिशंकर शर्मा, पप्पू भैया,बालेंदु कुमार गौतम, वीरेंद्र सिंह, भानुप्रताप गौतम, डॉ अनिल शर्मा, ज्योति प्रकाश शर्मा, नरेन्द्र शर्मा, जितेंद्र शर्मा, सचिन अवस्थी, रमेश केशरी, जियालाल केशरी, कमलेश पाण्डेय के साथ तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे।

कथा में याज्ञिक विधि से पूजन एवं आरती का वैदिक मंत्रोंच्चार श्रीनाथ तिवारी एवं डॉ.अभिषेक चतुर्वेदी सम्पन्न कराया गया।

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