नाबालिग किशोरी को चौबीस घंटे थाने में रोकने के आरोप में थानाध्यक्ष लालगंज एवं विवेचक को सीडब्ल्यूसी नें किया तलब

अजीत पार्थ न्यूज बस्ती

नाबालिग किशोरी को बरामद करने के बाद चौबीस घंटे तक किशोर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत न करना थानाध्यक्ष लालगंज एवं विवेचक को पड़ा भारी, इसके लिए सीडब्ल्यूसी नें दोनों को न्याय पीठ के समक्ष उपस्थित होने के लिए पुलिस अधीक्षक के माध्यम से पत्र जारी किया है।

उल्लेखनीय है कि जनपद में स्थापित न्याय पीठ बाल कल्याण समिति नें एक नाबालिग बालिका को रात भर लालगंज थाने में रोकने के मामले में थानाध्यक्ष तथा मुकदमे के विवेचक को तलब कर स्पष्टीकरण मांगा है। इससे संबंधित पत्र पुलिस अधीक्षक बस्ती द्वारा थाने पर भेज दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त थाना क्षेत्र के एक अभिभावक नें अपनी पुत्री के घर से कहीं चले जाने का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस नें प्रयास करते हुए बालिका को बरामद कर उसका अपहरण करने वाले अपहरणकर्ता को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस को बरामदशुदा बालिका को सीडब्लूसी के समक्ष 24 घंटे के अंदर प्रस्तुत करना चाहिए था, किंतु पुलिस नें बरामद बालिका को प्रस्तुत करने के बजाए थाना परिसर में ही रात भर रोके रखा था, दूसरे दिन न्याय पीठ के सदस्य के समक्ष प्रस्तुत किया गया जहाँ से उसके मेडिकल का आदेश दिया गया। बालिका नें न्याय पीठ के समक्ष प्रस्तुत होने के बाद उक्त बात की जानकारी दिया कि मुझे रात में थाना परिसर में रखा गया था। इस बात की जानकारी होने पर न्याय पीठ के अध्यक्ष प्रेरक मिश्र, सदस्य अजय श्रीवास्तव, डॉ.संतोष श्रीवास्तव तथा मंजू त्रिपाठी नें इस बात को बाल अधिनियम 2015 का उल्लंघन मानते हुए थानाध्यक्ष एवं मामले के विवेचक से स्पष्टीकरण मांगा है।

इस संबंध में सीडब्लूसी के अध्यक्ष प्रेरक मिश्र के अनुसार किसी भी नाबालिग को थाने में नही रोकना चाहिए, यह नाबालिग के सर्वोच्च हित में बाधक है, तथा विधिक प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब हो जाता है, जो कि नाबालिग के हित मे ठीक नहीं है।

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