ब्रजरज में आज भी नवल-किशोर राधारानी एवं बांकेबिहारीजी के होते हैं दर्शन

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी 

जनपद प्रयागराज के मेजा तहसील अन्तर्गत कठौली ग्राम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पंचम दिवस वाराणसी से पधारी कथा व्यास डॉ.अनुरंजिका चतुर्वेदी नें बड़े ही रोचक ढंग से प्रसाद गुण युक्त शैली में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया । जिसमें पूतना वध, बकासुर, शकटासुर, तृणावर्त वध, कालिया नाग सहित माखन लीला एवं चीरहरण आदि का वर्णन करते हुए गोवर्धन लीला पर कथा को विराम दिया।

डॉ.अनुरंजिका नें बताया कि भगवान ने बालरूप में वह अलौकिक कार्य किए जो कभी भी किसी बालक द्वारा संभव नहीं है था, यही विलक्षणता उन्हें भगवद कोटि में स्थापित करती है । ब्रजरज की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए बताया कि भगवान कृष्ण नें ब्रज में नंगे पांव चलकर लीलाएं तो की ही उस ब्रज की रज का पान (भक्षण)भी किया है। आज भी उस रेत को उठाने पर एक श्वेत एक श्याम मानो राधा-कृष्ण का दर्शन होता है, इसीलिए वहां का कण-कण पवित्र और ग्राह्य माना जाता है।

भगवान को माखन चोर तो कहा जाता ही है किन्तु उनका एक वैशिष्ट्य यह है कि वह अपने भक्तों के जन्मार्जित अनेक पापों को भी चुरा लेते हैं जिसके साक्ष्य में भागवत श्लोक द्रष्टव्य है –
ब्रजे वसन्तं नवनीतचौरं,गोपांगनानां च दुकूल चौरम्।
अनेक जन्मार्जित पापचौरं चौराग्रगण्यं पुरुषं नमामि। अत:वे ध्यातव्य हैं।

गोवर्धन लीला से वह स्पष्ट संकेत देते हैं कि भक्तों पर जब भी असह्य संकट आता है उस परिस्थिति में मैं ठीक वैसे ही आच्छादित कर लेता हूँ, जैसे इन्द्र के कोप-जन्य वर्षा से समस्त गोप जनों की रक्षा किया था। अतएव एकनिष्ठ होकर परमात्मा श्री कृष्ण की शरण में हो जाना ही मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

कथा के मध्य संगीत की धारा संतोष तिवारी (गायक), तबला पर संजय पाठक,आर्गन पर संतोष शर्मा एवं साइड रिदम पर संजय श्रीवास्तव नें सहयोग किया।

इस दौरान प्रमुख यजमान सुषमा शर्मा, सविता शर्मा,अंकिता, शुभम्, प्रिया, निशांत, ग्राम प्रधान हरिशंकर शर्मा, बालेंदु कुमार गौतम, वीरेंद्र सिंह, भानु प्रताप गौतम, डॉ.अनिल शर्मा, ज्योति प्रकाश शर्मा, नरेन्द्र शर्मा, जितेंद्र शर्मा, सचिन अवस्थी, रमेश केशरी, जियालाल केशरी, कमलेश पाण्डेय सहित तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे।

भागवत कथा का समस्त पूजन डा.अभिषेक चतुर्वेदी एवं श्रीनाथ तिवारी द्वारा सम्पन्न कराया गया।

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