गोरखपुर के राप्ती तट पर हुआ कांग्रेस के युवा नेता प्रभात पांडेय का अंतिम संस्कार, मां-बाप के एकलौते बेटे थे प्रभात, बेटे की मौत से पिता सदमे में

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी

राजधानी लखनऊ स्थित कांग्रेस कार्यालय में युवा नेता प्रभात पांडेय की मौत पर सियासत गर्मा रही है। गुरुवार को गोरखपुर में प्रभात पांडेय का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी पहुंचे। श्मशान घाट पर पर वह भड़क गए, उन्होंने अपना जनेऊ दिखाते हुए कहा कि ‘यह देख लो, हम 24 कैरट के ब्राह्मण हैं, झूठे नहीं हैं, महादेव के भक्त हैं’। इसके बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नें मृतक प्रभात पांडेय के परिवार को दस लाख रुपये आर्थिक सहायता देने की घोषणा किया, साथ ही न्याय दिलाने के लिए हमेशा साथ खड़े रहने की बात कहा।

अंतिम संस्कार के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, कालेसर बगहा बाबा मुक्तिधाम पहुंचे। यहां पर लोगों नें नारेबाजी करते हुए उन्हें आने से रोका। चिता के पास जाने से मना कर दिया। इस पर उन्होंने कहा कि आपका बेटा, भतीजा और भाई मरा है। तो वह मेरा भी कार्यकर्ता था। हम बस हाथ जोड़कर प्रणाम करने आए हैं।

इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता पुलिस और सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे, जबकि अन्य लोग राहुल और प्रियंका गांधी मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। वहां मौजूद लोगों ने एक पार्टी के लोगों द्वारा कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर बुलाकर मरवाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया। इसी बीच तनाव बढ़ता देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सहजनवा स्थित गीडा क्षेत्र के देईपार निवासी प्रभात पांडेय 30 पुत्र दीपक पांडेय की मौत से पूरा गांव हतप्रभ है। वह गांव से दस दिन पूर्व राजधानी लखनऊ में अपनी बहन के पास गये हुए थे। बुधवार को उनकी मौत की सूचना मिलते ही गांव में स्थित उनके घर पर चीख-पुकार मच गई। गुरुवार की सुबह प्रभात का शव गांव में पहुंचा। बेटे की मौत की सूचना पाकर पिता दीपक पांडेय सदमे में हैं तथा वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं।

सूचना के अनुसार मृतक प्रभात पांडेय दो बहनों में इकलौते भाई थे। एक बहन का विवाह हो चुका है तथा वह लखनऊ में रहती हैं। उन्हीं के पास दस दिन पूर्व प्रभात पांडेय गये हुए थे । यहीं से वह बुधवार को प्रदर्शन में शामिल होने गए थे। घर पर बाबा उमाशंकर पांडेय, माता-पिता और छोटी बहन हैं।

वहीं, लखनऊ में रहने वाले उनके चाचा और बहन का परिवार प्रभात की मौत की सूचना मिलते ही पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए। देईपार गांव से भी परिवार के लोग लखनऊ रवाना हो गए। बताया जा रहा है कि डेढ़ साल से प्रभात लखनऊ में ही अधिक रहते थे। देईपार के ग्रामीणों का कहना है कि प्रभात का व्यवहार बहुत अच्छा था। परिजनों के अनुसार वह लखनऊ में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे।

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