अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी संतकबीरनगर
जनपद के बहुचर्चित एक पिता द्वारा अपनी ही तीन बेटियों के लोमहर्षक हत्या के मामले में न्यायालय नें आरोपी पिता एवं उसके साथी को सश्रम आजीवन कारावास एवं दोनों को पैंतीस-पैंतीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाया है।
उल्लेखनीय है कि धनघटा थाना क्षेत्र के डिहवा ग्राम निवासी साबिरा खातून पत्नी सरफराज खान नें थाने में तहरीर दिया था कि उसका मायका ग्राम निमावा (मीरगंज), थाना कोतवाली खलीलाबाद, जनपद संत कबीर नगर है। उसका विवाह साल 2012 में सरफराज पुत्र सोहराब खान निवासी डिहवा, थाना धनघटा, जनपद संत कबीर नगर के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात् सरफराज के संसर्ग से उसके चार पुत्रियां सना 7, सबा साढ़े चार वर्ष, शमां ढाई वर्ष व अनम 7 माह पैदा हुई। उसका पति सरफराज खान गाड़ी चलाने का काम करता है। वह ईद के पहले मुम्बई से आया था तब वह अपने मायके में थी। वह बच्चियों के साथ उसको मायके से अपने घर डिहवा ले आया, लेकिन सरफराज उसे पसंद नहीं करता था और उससे तथा बच्चियों से पीछा छुड़ाना चाहता था।
दिनांक 31मई 2020 को सरफराज दिन में करीब 12 बजे घर से निकला और शाम तक जब घर वापस नहीं आया तो उसने करीव साढ़े सात बजे सरफराज को फोन करके पूछा कि कहाँ हो तो उसने कहा कि अभी थोड़ी देर में घर आ रहा हूँ। उसके थोड़ी देर बाद करीव आठ बजे अपने मित्र नीरज मौर्या पुत्र महेन्द्र मौर्या निवासी बैड़ारी, थाना धनघटा, जनपद संत कबीर नगर के साथ मोटर सायकिल से घर आया। तभी उसने सरफराज को बताया कि बच्चियों की तबीयत कुछ खराब लग रही है, इनके लिए डाक्टर के यहाँ से दवा ला दीजिए, तब सरफराज नें कहा कि ऐसे नहीं दवा नहीं लाऊंगा, इनको साथ ले जाकर डाक्टर को दिखाकर दवा दिलाऊंगा और इनको घुमा भी दूंगा।
वह बच्चियों सना, सबा व शमां को साथ लेकर अपने मित्र नीरज मौर्य के साथ मोटर सायकिल लेकर घर से गया। उसके बाद काफी देर तक जब वापस नहीं लौटे तब उनको फोन मिलाई तो मोवाइल बंद बता रहा था। फिर करीब साढ़े नौ बजे रात में अकेले घर वापस आए और बताने लगे कि रास्ते में कुछ बदमाश मिले थे जो मुझको मारपीट कर बच्चियों का अपहरण कर ले गये और पेट पकड़कर चिल्लाने लगे कि बहुत दर्द हो रहा है। शोर सुनकर मेरे पट्टीदारी के लोग भी आ गये। फिर उनको अपने पट्टीदार सरताज के साथ मलौली हास्पिटल ले गई और अपने मायके में भी सूचना दी कि इस तरह की घटना हो गई है। मायके से मेरे भाई समीउल्लाह भी अस्पताल में आ गये।
सरफराज से घटना के बारे में पूछने लगे तब सरफराज ने रोते हुए बताया कि मैं बहुत परेशान था।अपनी पत्नी व बच्चियों से पीछा छुड़ाना चाहता था, इसीलिए अपने मित्र नीरज मौर्य के साथ योजना बनाकर अपनी तीन अबोध बेटियों को बिड़हर घाट पुल के मध्य जाकर पुल से नीचे नदी में जानबूझकर फेंक दिया, जिससे निश्चित रूप से उनकी मृत्यु हो जाए तथा किसी को पता भी न चले। बेटियों को नदी में फेंकने के बाद अपने मित्र नीरज को उसके घर पर छोड़कर अपने घर वापस आकर अपनी गलती छिपाने के लिए झूठ बोला कि मुझे किसी नें मारपीट कर बच्चों का अपहरण कर लिया है।
घटना के कई दिनों बाद तक बिड़हर घाट पुल के आसपास नाविको और गोताखोरों नें बच्चियों को तलाश किया परंतु उनका पता नहीं चला ।मामले में बच्चियों के पिता सरफराज और उसके मित्र नीरज मौर्य के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत हुआ तथा विवेचक नें विवेचना करने के पश्चात आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी विशाल श्रीवास्तव के अनुसार अभियोजन की तरफ से नौ साक्षियों का साक्ष्य कराया गया जिसमें अभियोजन साक्षियों नें घटना की पुष्टि किए। अभियुक्त सरफराज और नीरज मौर्य नें भी अपने बचाव में 6 साक्षियों को प्रस्तुत किया। अभियुक्तगण सरफराज और नीरज मौर्य के विरुद्ध आरोप साबित पाए जाने पर सत्र न्यायाधीश मोहनलाल विश्वकर्मा नें दोनों आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास और 35-35 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड न अदा करने पर न्यायालय नें तीन माह अतिरिक्त दंड भुगतने का आदेश दिया है।