अजीत पार्थ न्यूज संवाददाता छावनी बस्ती
क्षेत्र के सोहगिया में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस कथावाचक आचार्य राम गोपाल शुक्ल नें प्रभु की भक्ति और मानव के उद्धार प्रसंग का उल्लेख किया व्यास जी नें कहा कि एक समय की बात है, नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादिक 88000 ऋषियों ने पुराणवेत्ता सूत जी से पूछा हे सूत जी! इस कलियुग में वेद विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा ? कोई ऐसा व्रत अथवा तप बताइए जिसके करने से थोड़े ही समय में पुण्य प्राप्त हो तथा मनवांछित फल भी मिले। हमारी प्रबल इच्छा है कि हम ऐसी कथा सुनें।
जिस पर श्री सूत जी नें कहा कि हे वैष्णव पूजा के लिए आप सबनें प्राणियों के हित की बात पूछी है। अब मैं उस श्रेष्ठ व्रत को आपसे कहूंगा जिसे नारद जी के पूंछने पर लक्ष्मी नारायण भगवान नें उन्हें बताया था। जिसकी कथा इस प्रकार है, और आप सभी सुनें। एक समय देवर्षि नारद जी दूसरों के हित की इच्छा से सभी लोकों में घूमते हुए मृत्युलोक में आ पहुंचे, वहां अनेक योनियों में जन्मे प्रायः सभी मनुष्यों को अपने कर्मों के अनुसार कई दुःखों से पीड़ित देखकर उन्होंने विचार किया कि कौन सा व्रत करने से प्राणियों के दुःखों का नाश होगा। कथाव्यास नें कहा कि भागवत शब्द के हर अक्षर में एक अर्थ छिपा हुआ है, जो कि हमें भय से दूर करता है।
इस दौरान मुख्य यजमान राम प्रकाश मिश्रा द्वारा कथा व्यास की आरती उतारा गया।
कथा में प्रमुख रूप से सुभाष चंद्र मिश्र, द्वारिका प्रसाद, राम सिंह, राम जनक यादव, कुंदन राम महाराज, गोविंद मौर्य, रामशरण, अशोक कुमार सिंह एडवोकेट, सुनील सिंह, कमल बहादुर सिंह, विशाल सिंह, शिवम मौर्य सहित तमाम कथा प्रेमी मौजूद रहे।


