आंग्ल वर्ष चौबीस बीतकर आया है पच्चीस
आनेवाला समय सुखद हो यही प्रार्थना ईश
कहांँ कहाँ क्या बात हुई है
कैसे दिन में रात हुई है
तार तार घायल ये दुनिया
अपनों से ही मात हुई है
बेशर्मी के बावजूद सब नित्य निपोरें खीस
आनेवाला समय सुखद हो यही प्रार्थना ईश
आपस में सौहार्द्र शीत हो
राष्ट्रभक्ति का मधुर गीत हो
जाति-पाति से ऊपर आयें
इक दूजे के सभी मीत हों
व्यवहारों में ऊँचा रख्खें अपने को सब बीस
आनेवाला समय सुखद हो यही प्रार्थना ईश
जो तामस को उर में धारे
मीठे जल को किये हैं खारे
रक्तबीज सा पनप रहे हैं
मानवता को मन में मारे
वे लौटें पूर्वज के कुल में,झुके भूमि हित शीश
आनेवाला समय सुखद हो यही प्रार्थना ईश
भारत, भारत रूप धार ले
हो समर्थ, दुनिया उधार ले
सत्य सनातन ध्वज के नीचे
सारा जग हो, वेद – चार ले
कंचन काव्य समृद्ध नित्य हो ऐसा दो आशीष
आनेवाला समय सुखद हो यही प्रार्थना ईश