बधाई हो नंद जू,लल्ला भयो है…नंद घर आनंद भयो,जय कन्हैया लाल की….

अजीत पार्थ न्यूज संवाददाता धनघटा संत कबीर नगर

जनपद के विकास खंड पौली के तिलकूपुर गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के चौथे दिन बुधवार को सांध्य कालीन कथा के दौरान अवध धाम से आए पंडित विजय राघव दास जी ने श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनाई। कथा श्रवण कर रहे श्रोताओं ने बधाइयां दीं और पांडाल में खूब झूमे नाचे।

कथा प्रसंग को आगे बढ़ते हुए कथा वाचक ने कहा कि कंस अपनी चचेरी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से कर स्वयं रथ का सारथी बनकर उसकी ससुराल लेकर जा रहा था। इसी बीच आकाशवाणी हुई कि हे कंस देवकी की आठवीं संतान ही तेरा काल होगी। तुरंत ही उसने देवकी को मारने की चेष्टा की। किंतु सत्यवादी वसुदेव के कहने पर उसने उसके आठवीं संतान को वध करने की शर्त पर छोड़ दिया। दोनों को कारागार में डाल दिया और देवकी की एक-एक कर 6 संतानों को कंस ने मृत्यु दे दिया। सातवीं संतान भगवान शेष रोहिणी के गर्भ में संकर्षित हो गए। जिससे उनका नाम संकर्षण भी हुआ। जो कृष्ण के बड़े भाई बलराम के नाम से विख्यात हुए।

आठवीं संतान भी पैदा हुई। भाद्रपद मास,कृष्ण पक्ष,अष्टमी तिथि,मध्य रात्रि, बुधवार के दिन लीलाधर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ। जिनके जन्म लेते ही बेड़िया खुल गई, कारागार के ताले टूट गए,रखवाले सो गए। वासुदेव जी ने बालकृष्ण को टोकरी में रखा और उन्हें लेकर अपने मित्र गोकुल में नंद जी के यहां गए। जहां पर पहले से ही योग माया उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हो चुकी थी। बालकृष्ण को रखकर वासुदेव ने उस कन्या को टोकरी में रखा पुनः कारागार आ गए। इस भी सूचना मिलते हैं बृजवासियों ने जोर-जोर से नंद जी को बधाई देनी शुरू की। बधाई हो नंद जी लाला भयो है…. जिसकी सूचना कंस को मिली और उसने मारने का प्रयास किया। लेकिन वह हाथ से छिटक कर आसमान में चली गई और उसने कहा कि कंस तुझे मारने वाला पैदा हो चुका है।

इस मौके पर मुख्य यजमान महेंद्र पांडेय,अंगद पाल,गिरीरंग दूबे, लल्लन पाल,संतोष पाल,अशोक पाल,अनिल पाल,पीयूष पाल,प्रिंस पाल,लालजी पांडेय,अरुण पाल,मोनू पाल,सुरेश पाल,दयाराम,धर्मवीर,आयुष, मुकेश,अवनीश समेत बहुत से श्रोता मौजूद रहे।

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