∆∆••• क्षेत्रीय लोगों की आस्था का केंद्र है गौरानाथ शिवमन्दिर
✍️ सुनील कुमार उपाध्याय महादेवा, बस्ती
जनपद के महादेवा बाजार से लालगंज मार्ग पर करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्वयंभू शिवलिंग बाबा गौरानाथ शिव मंदिर स्थापित है। जिला मुख्यालय बस्ती से मंदिर की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। मंदिर जाने के लिए बस्ती शहर से कंपनी बाग चौराहे व अस्पताल चौराहे से महादेवा चौराहा हेतु बस,जीप,ऑटो व अपने निजी वाहनों द्वारा पहुंचा जा सकता है।

मन्दिर का इतिहास-
उक्त पौराणिक शिव मंदिर के पवित्र शिवलिंग के विषय में वार्ता करने पर स्थानीय लोग बताते हैं कि सन् 1920 ईस्वी में गौरा धुंधा ग्राम के निवासी स्व.पारसनाथ शुक्ल नें गांव के बाग में शिवलिंग को पहली बार देखा। जानकारी के अनुसार वह निःसंतान थे और हर दिन उक्त शिवलिंग के दर्शन के लिए जाते थे परंतु शिवलिंग का स्थान बदलता रहता था। उन्होंने इस चमत्कार को देखकर प्रतिदिन उस पवित्र शिवलिंग की पूजा करना प्रारंभ कर दिया और भगवान से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करने लगे। कालांतर में उन्हें दो पुत्ररत्न के प्राप्ति हुई और उन्होंने वहां पर मंदिर का निर्माण कराया। मन्दिर के सटे हुए माता गौरी जी का मंदिर भी बना हुआ है।
मंदिर में सावन मास में प्रत्येक दिन जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। दूरदराज से रुद्राभिषेक व भण्डारे के लिये श्रद्धालुओं का आगमन होता रहता है। सच्चे मन से पूजन अर्चन करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर श्रीरामचरितमानस पाठ व विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। क्षेत्रीय लोगों के लिए यह मंदिर आस्था का एक केंद्र बना हुआ है।
93 वर्षीय पुजारी राजेंद्र जी बताते हैं कि मैं पिछले एक दशक से उक्त मंदिर पर भगवान के सेवक के रूप में रह रहा हूँ। भगवान की बड़ी महिमा है और इस मंदिर से क्षेत्र वासियों का बहुत कल्याण हो रहा है। सावन के माह में इस मंदिर पर हर दिन धार्मिक अनुष्ठान, भंडारा व अभिषेक आदि के कार्यक्रम नियमित तौर पर चलते रहते हैं और शिवरात्रि के अवसर पर प्रतिवर्ष श्री रामचरितमानस एवं विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

व्यवस्थापक व श्रद्धालु विष्णु कुमार शुक्ल बताते हैं कि बाबा गौरानाथ की बड़ी कृपा है। सच्चे मन से यहां जो भी मनोकामना लेकर आते हैं बाबा गौरानाथ जी उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं और समस्त क्षेत्रवासी इस पौराणिक पवित्र मंदिर को अपनी आस्था का मुख्य केंद्र मानते हैं।


