काशी का अद्भुत मंदिर जहाँ नेपाल नरेश को क्षमा याचना करनी पड़ी थी

अजीत पार्थ न्यूज वाराणसी

बात उन दिनों की हैं जब नेपाल मे राणा शासन चल रहा था । तत्कालीन राजा जुद्ध समशेर राणा का प्रभाव पूरे नेपाल में वर्चस्व के शिखर पर था। राजा के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए उनके पुरोहितों नें राणा शमशेर को काशी यात्रा करने और वहां के प्रमुख मंदिरों के दर्शन और आशीर्वाद ग्रहण करने का आग्रह किया। शमशेर राणा नें अपने पुरोहितों की बात को मान कर काशी आए और काशी के सभी प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन किए। वह वापस अपने देश में लौटे और शासन का निर्वहन करने लगे।

कुछ समय पश्चात राणा शासन अस्थिर होने लगा और महाराजा का स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगा। राजा शमशेर राणा स्वभाव से चिड़चिड़े होने लगे और शासन में भी प्रभाव समाप्त होने लगा। एक रात्रि में उन्हें रामघाट में स्थित आनंद भैरव बाबा के दर्शन हुए। प्रात:काल उन्होंने अपने राजपुरोहित से बाबा आनंद भैरव के विषय में बताया। राजपुरोहित की सलाह पर वह पुनः वापस काशी आए तथा रामघाट में स्थित आनंद भैरव बाबा के दर्शन किए और उपहार स्वरूप मंदिर में अष्टधातुसे निर्मित 2 घंटा मंदिर में श्रद्धा भाव से भेंट किया । बाबा आनंद भैरव के आशीर्वाद से शमशेर राणा को जीवन भर किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा और वह पूर्ण रूप से स्वस्थ भी हो गए।

काशी में रामघाट में स्थित आनंद भैरव मंदिर में प्राचीन अष्टधातु से निर्मित घंटा आज भी देखने को मिलता है। उक्त घंटे की आवाज अष्ट पल तक गुंजायमान रहती है। यह आठ अंक अष्ट भैरो को भी दर्शाता है।

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