एपी न्यूज संवाद
पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के चश्मदीद गवाह उमेश पाल एवं गनर संदीप निषाद के दिनदहाड़े हत्याकांड में वर्तमान समय में विशेष रूप से चर्चा में आए माफिया के जरायम की दुनिया में आने की कहानी बहुत ही दिलचस्प है।
अतीक अहमद नें सियासी शह के दम पर बनाया आतंक का विशाल साम्राज्य।जरायम की दुनिया का बादशाह रहा अतीक अहमद जेल में अपने गुनाहों की सजा भुगत रहा है।आपको बता दें कि मात्र 17 साल की उम्र में फिरोज तांगेवाले के लड़के अतीक की जरायम के दुनिया में एंट्री हुई। तब अतीक पर हत्या का आरोप लगा था. इसके बाद अतीक के डर और आतंक इलाके में फैलने लगा। डर की आड़ में अतीक अहमद का रंगदारी का धंधा बड़ी तेजी से चल निकला ।पुलिस और नेता दोनों का शह मिलने पर अतीक गुंडागर्दी में अपना पैर जमाना शुरु कर दिया, जो लोग चांद बाबा से परेशान थे, उन्होंने अतीक को बढ़ावा देना शुरु कर दिया। आगे चलकर अतीक के लिए बाहुबली और अपराध की दुनिया के लिए संजीवनी बनने वाला था। अतीक को समझ आ चुका था कि सियासत में मजबूत पकड़ बहुत जरूरी है। इसके बाद अतीक नें गुनाहों के रास्ते पर चलकर सियासत में मजबूत पकड़ बना ली। जरायम की दुनिया में अतीक लंबी लंबी छलांगें लगाने लगा। उसे यह नहीं पता था कि एक दिन हर जुर्म का हिसाब होता है। साल 1989 के चुनाव में उसने इलाहाबाद पश्चिमी से निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया और अतीक नेें इस चुनाव में धनबल, बाहुबल का ऐसा खेल खेला कि चांद बाबा चुनाव हार गया। अतीक इसके साथ ही “माननीय” बन गया। चुनाव के कुछ महीनों बाद ही चांद बाबा की हत्या हो गई। धीरे धीरे अतीक नें चांदबाबा के पूरे गैंग का सफाया कर दिया।
विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की गनर समेत सनसनीखेज तरीके से हत्या की साजिश के तार अहमदाबाद और बरेली जेल से जुड़ रहे हैं।माफिया अतीक अहमद और बरेली जिला कारागार से उसका भाई पूर्व विधायक अशरफ अपने करीबियों और गुर्गों से मोबाइल के जरिए लगातार बात करते रहते हैं। वे ज्यादातर वाट्सएप काल पर बात करते हैं, जिसे क्राइम ब्रांच की सर्विलांस सेल और दूसरी सुरक्षा एजेंसियां इंटरसेप्ट नहीं कर पाती हैं।जेल अधिकारी लाख मना करें कि बैरक में मोबाइल नहीं इस्तेमाल होता है लेकिन सच ये है कि दोनों भाई नियमित तौर पर फोन के जरिये अपने गुर्गों से संपर्क में रहते हैं।पूर्वांचल के माफिया के नाम से मशहूर अतीक अहमद के खिलाफ पिछले 43 वर्षों के दौरान दर्ज मुकदमों के शतक लग गए, लेकिन खास बात ये रही कि किसी मामले में उसे सजा नहीं हुई। राजनैतिक संरक्षण और बाहुबल की वजह से हमेशा ही अतीक सजा पाने से बचता चला आया।
1979 में हत्या के मुकदमे के साथ अतीक अहमद नेें अपराध की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उसके खिलाफ हत्या, डकैती, अवैध वसूली, अपहरण, जानलेवा हमला, गैंगस्टर, गुंडा एक्ट जैसे गंभीर अपराधिक मुकदमों की संख्या बढ़ती चली गई। डकैती के दौरान हत्या, एससी एसटी एक्ट, बलवा, अवैध वसूली, गैंगस्टर एक्ट समेत गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमे हैं।
योगी सरकार ने माफिया पर कसी नकेल
योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद अतीक के खिलाफ 5 मामले दर्ज हुए। इन मुकदमों में अभी विवेचना चल रही है। वहीं व्यापारी को अगवा कर उसकी कंपनी अपने नाम लिखवाने के मामले की जांच सीबीआई कर रही है, इसका मुकदमा लखनऊ के कृष्णा नगर थाने में दर्ज हुआ था। अतीक से जुड़े 25 मुकदमों में कोर्ट में हाजिरी हो रही है। वही, 11 मुकदमों में साक्ष्य पेश किए जा चुके हैं।