महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में आए थे 93 वेंटिलेटर… उपयोग में एक भी नहीं, टेक्नीशियन की दरकार

– कोरोना काल में पीएम केयर फंड से आए थे ये वेंटिलेटर, उपयोग में न आने से आ रही यांत्रिक खराबी

– स्टोर रूम में धूल फांक रहे करोड़ों के वेंटिलेटर, संचालक नहीं होेने से सीरियस मरीज होे रहे रेफर

बस्ती। गंभीर रोगियों के फेफड़े तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाले वेंटिलेटर मेडिकल कॉलेज के ओपेक चिकित्सालय कैली में दम तोड़ रहे हैं। दो साल से इन मशीनोें का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। टेक्नीशियन न होने की दशा में बड़ी संख्या में मशीनें स्टोर रूम में धूल फांक रही है। देखरेख के अभाव में करोड़ों लागत की इन मशीनों में यांत्रिक खराबी आने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इनकी उपयोगिता न होने से सीरियस मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है।

कोरोना काल (दिसंबर 2020) में पीएम केवर फंड से यहां 93 नए वेंटिलेटर आवंटित हुए थे। कोरोना आपदा के समय मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एनएचएम के संविदा टेक्नीशियनों की मदद से कुछ वेंटीलेटर उपयोग में लाए‌ गए। लेकिन, कुछ दिनों के बाद इन मशीनों कोे स्टोर में रखवा दिया गया। जबकि इनकी औसत उम्र चार से पांच साल की होती है। ऐसे में बिना उपयोग में आए ही यह मशीनें बड़ी संख्या में खराब भी हो रही है। रखरखाव एवं टेक्नीशियन के अभाव में तीन साल से यह वेंटिलेटर बेमतलब साबित हो रहे हैं। अस्पताल प्रशासन टेक्नीशियन न होने की दशा में इनके संचालन से हाथ खड़े कर दिया है। आपूर्तिकर्ता कंपनी के तरफ से इन वेेंटीलेटरों की जांच भी नहीं की गई है। इससे यह पता लगाना भी कठिन है कि कितने वेंटीलेटर उपयोग के लिए फिट हैं। जिले के सबसे बड़े अस्पताल के लिहाज से यहां वेंटीलेटर का होना बेहद अनिवार्य है। मगर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के पांच वर्ष बाद भी यह सुविधा बहाल नहीं हो पाई। कोरोना काल में कुछ वेंटीलेटर उपयोग में आते देखे गए थे। इसके बाद से स्टोर रूम में सभी डंप कर दिए गए। जबकि एक वेंटिलेटर की कीमत करीब चार लाख रुपये है। आपूर्ति करने वाली कंपनी की गारंटी केवल एक साल की होती है। गारंटी अवधि बीतने के बाद अब संबंधित कंपनी की जवाबदेही भी नहीं रह गई। अस्पताल प्रशासन की ओेर से वेंटिलेटरों को ताले में बंद कर फुर्सत ले ली गई है।
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मेडिकल कॉलेज में प्रतिदिन 500 से अधिक मरीजों का आवक है। इसमें हार्ट अटैक, मार्ग दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल अचेतावस्था में आने वाले मरीजों को तत्काल वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ती है। इसके जरिये उनके फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है। ताकि मरीज काे बीमारी से लड़ने में मदद मिलें। मगर वेंटीलेटर की सुविधा न होने से ऐसेे सीरियस मरीजों को तत्काल रेफर कर दिया जा रहा है। जबकि उपलब्धता के हिसाब से यहां 93 मरीजों को वेंटीलेटर की सुविधा एक साथ मिल सकती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक वेंटीलेटर के संचालन में 24 घंटे के दौरान तीन टेक्नीशियन की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में एक भी टेक्नीशियन नहीं है। जिससे इन मशीनों का संचालन नहीं हो पा रहा है। जबकि वेंटीलेटर जीवन रक्षक प्रणाली का हिस्सा है। इसकी जरूरत ज्यादातर मेडिसिन, सर्जरी, आर्थो सर्जरी, न्यूरो, कार्डियोेलॉजी विभाग को पड़ती है। किसी भी विभाग के पास गंभीर मरीजों के लिए वेंटीलेटर वार्ड नहीं है।

कोरोना काल में 93 वेंटीलेटर आवंटित हुए थे। शुरूआत में एनएचएम के संविदा टेक्नीशियनों से यह संचालित कराया गया था। बाद में वह हट गए। जिससे सभी वेंटीलेटर स्टोर में सुरक्षित करा दिया गया है। टेक्नीशियनों की मांग शासन से की गई है। उनकी मौजूदगी के बगैर इनका उपयोग नहीं किया जा सकता है।
डॉ. एएन प्रसाद, सीएमएस, ओपेक चिकित्सालय कैली

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