सामान्य गर्भवती महिलाओं को भी जिला महिला चिकित्सालय में नहीं किया जा रहा है भर्ती

प्रसूता का बेहतर रिपोर्ट नहीं है तो मत लाइए वीरांगना तलाश कुंअरि महिला चिकित्सालय… बिना भर्ती के ही वापस भेज दिए जा रहे मरीज

– उच्च रक्तचाप, खून की कमी पर मरीज नहीं किए जा रहे भर्ती

– सामान्य प्रसूताओें की कराई जा रही नार्मल और सीजर डिलीवरी

बस्ती। यदि कोई प्रसूता है और उसकी जांच रिपोर्ट बेहतर नहीं है तो डिलीवरी के लिए वीरांगना तलाश कुंअरि जिला महिला चिकित्सालय में मत लाइए। बिना भर्ती किए ही मरीज को मेडिकल कॉलेज के लिए वापस भेज दिया जा रहा है। यहां प्रतिदिन दो से तीन मरीजोें के साथ ऐसा ही हो रहा है। उच्च रक्तचाप, खून और पानी की कमी की स्थिति में प्रसूता मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। लेबर रूम में स्थिति से अवगत होने के बाद चिकित्सक एवं स्टाॅफ मरीज कोे सीरियस बताकर तत्काल मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह दे रहे हैं।

वीरांगना तलाश कुंअरि महिला अस्पताल में सबकुछ सामान्य होने पर ही प्रसूताओें की डिलीवरी हो पा रही है। यहां इमरजेेंसी में मरीज पहुंचने पर पहले जांच रिपोर्ट मांगी जा रही है। इसमें सबकुछ अनुकूल होनेे पर ही मरीज काे भर्ती किया जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़े होने की स्थिति में या हीमोग्लोबिन कम होेने की दशा में मेडिकल स्टॉफ हाथ खड़े कर दे रहा है। सीजर केस की डिलीवरी में ज्यादातर समस्या आ रही है। चिकित्सकाें का कहना है कि उच्च स्तरीय सुविधाएं न होने की वजह से ऐसे मरीजों कोे भर्ती नहीं किया जाता है। प्रतिदिन औसत चार से पांच प्रसूताओें की सीजर डिलीवरी कराई जाती है। इसमें वहीं मरीज शामिल होते हैं जिनकी जॉच रिपोर्ट अनुकूल होती है। हाई ब्लड प्रेशर और खून की कमी वाले मरीजों के भर्ती का दबाव मेडिकल कॉलेज पर बढ़ गया है। यहां प्रतिदिन 10 से 15 की संख्या में सीजर डिलेवरी वाले मरीज भर्ती किए जा रहे हैं।

वीरांगना तलाश कुंअरि जिला महिला चिकित्सालय में प्रसूति रोग विशेषज्ञ के नौ पद सृजित है। इसमें केवल पांच की ही तैनाती है। इन्हीं चिकित्सकों पर पूरे अस्पताल का दारोमदार है। इमरजेंसी से लेकर आपरेशन थियेटर तक 24 घंटे के चक्रानुक्रम में इन चिकित्सकों की ड्यूटी पूरी हाे जा रही है। ओपीडी में महिला रोगियों के उपचार की जिम्मेदारी संविदा पर तैनात आयुष एवं यूनानी चिकित्सक संभाल रहे हैं। चिकित्सकों की कमी की वजह से भी सीरियस मरीज नहीं भर्ती किए जा रहे हैं।

सीरियस मरीज न भर्ती किए जाने की वजह से 125 शैय्या के अस्पताल में 25 से 30 बेड अक्सर खाली मिल रहे हैं। गुरुवार को 125 में से 97 बेड पर मरीज भर्ती पाए गए। 28 बेड खाली है। इसमें आधे से अधिक नार्मल डिलीवरी वाले मरीज शामिल हैं। क्योंकि उच्च रक्तचाप और खून की कमी वाले मरीजों की सीजर या नार्मल डिलीवरी नहीं कराई जा रही है। इसलिए यहां मरीजों की संख्या कम हो जा रही है।

वीरांगना तलाश कुंअरि महिला अस्पताल में मरीज माफियाओं की बल्ले- बल्ले हैं। इमरजेंसी में जैसे ही मरीजों को सीरियस बताकर हायर मेडिकल सेंटर पर ले जाने की सलाह दी जाती है इसके बाद मरीज माफिया सक्रिय हो जाते हैं। वह मदद के बहाने मरीज के तीमारदारों के नजदीक पहुंच जा रहे हैं। इसमें महिला एजेंटों की भूमिका ज्यादा है। तीमारदारों को तसल्ली देते हुए निजी अस्पताल में उचित इलाज का भरोसा देकर उन्हें राजी कर लिया जाता है। फिर मरीज काे संबंधित अस्पताल तक पहुंचाने के बाद एजेंट वहां से हटते हैं। जहां डिलीवरी के नाम अच्छी-खासी वसूली हो रही है। इसमें एजेंटों काे कमीशन भी मिलता है।

वीरांगना तलाश कुंअरि जिला महिला अस्पताल में जरूरी सुविधाओं का अभाव है। जिला स्तरीय एकलौता हॉस्पिटल होने के बाद भी यहां सीरियस मरीजों के लिए वेन्टीलेटर की सुविधा नहीं है। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर भी नहीं है। ऐसे में स्थिति बिगड़ने पर प्रसूताओं को बेहतर सुविधा नहीं दी जा सकती है। इस वजह से सीरियस मरीज के आते ही जिम्मेदारोें के हाथ पांव फूलने लगते हैं।

अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त हैै। इसके लिए शासन से डिमांड की गई है। क्रिटिकल केस को ही हायर मेडिकल सेंटर के लिए रेफर किया जाता है। क्योंकि सभी विषयों के चिकित्सकों का समूह होता है। बेहतर संसाधन भी मुहैया हो जाते हैं। मरीज के लिए बेहतरी के लिए ही यह किया जाता है। ताकि जच्चा- बच्चा दोनों स्वस्थ रहे।

डॉ. एके वर्मा, सीएमएस, वीरांगना तलाश कुंअरि जिला महिला चिकित्सालय।

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