-°°∆∆ मेडिकल साइंस भी ताजा मामले को लेकर हैरान
डॉ.अजीत मणि त्रिपाठी / डॉ.एस.के.त्रिपाठी : बस्ती
साथ जियेंगें, साथ मरेंगे… गानें के मुखड़े को चरितार्थ करते हुए जुड़वां भाईयों की आंखों की रेटिना एक पहेली बन चुकी है। दोनों भाई जब आधार कार्ड बनवाने डाकखाने पहुंचे तो उनके चारों आंखों की रेटिना एक समान निकली और आधार कार्ड बनाने वाला हैरान हो गया। मौजूदा विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार पूरी दुनिया में जितने भी व्यक्ति हैं, उन सभी की आंखों की रेटिना अलग-अलग है,और इसी तर्ज पर वर्तमान समय में आधार कार्ड एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभागियों की रेटिना टेस्टिंग हो रही है, लेकिन विज्ञान के नियमों को धत्ता बताते हुए बस्ती जनपद में ईश्वरीय परिकल्पना का ऐसा उदाहरण मिला है, जहां विज्ञान भी घुटने टेकने को मजबूर हो गया है।
पूरा मामला जनपद बस्ती के जिला अस्पताल चौराहे से सटे मनहनडीह मोहल्ले का है, जहां पर चाय की दुकान चलाने वाले राजेश कुमार के बारह वर्षीय जुड़वां पुत्रों सत्यम एवं शिवम के आंखों की रेटिना एक समान पाई गई है, जिसके कारण दोनों भाइयों में से सिर्फ एक का ही आधार कार्ड बन पा रहा है,जब दूसरे भाई के रेटिना जांच के लिए आंखों में आई टेस्टिंग मशीन लगाई जा रही है तो कम्प्यूटर बता रहा है कि आपका आधार कार्ड बन चुका है, ऐसे में एक भाई का आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है,जिसका मूल कारण दोनों भाइयों की आंखों की रेटिना का एक समान होना है।
बच्चों के पिता राजेश कुमार के मुताबिक दोनों बेटों का बचपन में आधार कार्ड बनवाया गया था, तब दोनों दो साल के थे, उस समय आधार कार्ड बनवाते समय मां-बाप का फिंगर प्रिंट एवं रेटिना का मिलान हुआ था, उस समय तो आधार कार्ड बन गया था और उसी आधार कार्ड पर अब तक दोनों बच्चों का काम चल रहा था, लेकिन बच्चों के बड़े होने पर विद्यालय में प्रवेश हेतु नया संशोधित आधार कार्ड मांगा जाने लगा। मंगलवार को मैं दोनों बच्चों को लेकर मालवीय मार्ग स्थित केनरा बैंक के सामने स्थित आधार कार्ड संशोधन केंद्र पर आधार कार्ड बनवाने गया तो वहां पर बताया गया कि दोनों बच्चों का रेटिना एक समान है, जिसके कारण नया आधार कार्ड नहीं बन सकता है। उन लोगों के बताने के बाद मैं दो-तीन जगहों पर फिर से प्रयास किया, लेकिन हर जगह यही बताया गया कि दोनों बच्चों की आंखों की रेटिना एक समान है।
नया आधार कार्ड बनवाने के लिए उन्हें लखनऊ मुख्यालय जाना पड़ेगा, जहां के साफ्टवेयर में संशोधन की व्यवस्था है। लेकिन सवाल यह उठता है कि एक समान रेटिना पर आधार कार्ड तो किसी तरह बन जाएगा, लेकिन बच्चों के भविष्य में तकनीकी के इस युग में कई सारी समस्यायें आएंगी तो उनका निदान कैसे होगा ? उक्त मामले को लेकर बच्चों सहित पूरा परिवार हतप्रभ है कि उनकी समस्या का समाधान कैसे होगा।
उक्त प्रकरण के संबंध में जिला चिकित्सालय बस्ती के नेत्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.आशीष नारायण त्रिपाठी का कहना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए, और अगर ऐसा है तो यह ईश्वरीय परिकल्पना है, जिस पर चिकित्सा जगत सहित विज्ञान भी फेल है। सरकार को चाहिए कि नवीनतम तकनीकी ईजाद कर समस्या के हल कराने का प्रयास करना चाहिए।
इस विषय पर वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कमला प्रसाद का कहना है कि यह रिसर्च का विषय है कि ऐसा कैसे संभव हुआ।