बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के मुख्य शूटर प्रकाश पाण्डेय का हुआ निधन

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी

सन् दो हजार के दशक में लखनऊ की कवयित्री बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के मुख्य शूटर प्रकाश पांडेय की पीजीआई लखनऊ में मौत हो गई। वह मुख कैंसर से पीड़ित था। परिजन शव लेकर गोरखपुर के चरगांवा स्थित आवास पर आए। जहां से देर रात करीब दस बजे राप्ती नदी के तट राजघाट पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के साथ ही प्रकाश पांडेय को भी आजीवन कारावास की सजा हुई थी। सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील करने पर उसे जमानत मिल गई थी। साल 2013 से वह जेल से बाहर था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, शाहपुर के चरगांवा निवासी प्रकाश पांडेय दो साल से मुख कैंसर से जूझ रहा था। एक साल पहले उसके मुंह का ऑपरेशन हुआ था। इसके बाद से ही वह मुंह के रास्ते भोजन नहीं खा पाता था। उसके पेट में एक नली डालकर बाहर निकाली गई थी, जिसके जरिए तरल पदार्थ उसे दिया जाता था। एक साल से वह बीमारी की वजह से समाज से कट गया था। लखनऊ में ही पत्नी और 14 साल के पुत्र के साथ रहता था।

सूचना के अनुसार गोरखपुर स्थित आवास पर छोटा भाई नवीन पांडेय और मां रहती हैं। उसका शव चरगांवा स्थित आवास पर आया तो उसे देखने के लिए रिश्तेदाराें और मित्रों की भीड़ उमड़ पड़ी। दाह संस्कार के समय रात 12 बजे तक लोग राजघाट पर जमे रहे।

वर्ष 2003 में लखनऊ में मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या की गई थी। इसमें पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी, संतोष राय और प्रकाश पांडेय आरोपी बने थे। वर्ष 2007 में उत्तराखंड के देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने पूर्व मंत्री व उनकी पत्नी समेत चार लोगों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

इसमें साक्ष्य के अभाव में प्रकाश पांडेय को कोर्ट ने बरी कर दिया था। सभी आरोपियों ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने सबके साथ ही प्रकाश पांडेय को भी दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जेल में बंद रहने के दौरान ही प्रकाश ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। एक साल जेल काटने के बाद वर्ष 2013 में उसे जमानत मिल गई। तभी से वह जमानत पर बाहर था। केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और पत्नी मधुमणि ने दया याचिका डाली थी। करीब 19 साल जेल में रहने के बाद उनकी सजा माफ कर उन्हें अगस्त 2023 में रिहा कर दिया गया। वहीं इस मामले में अन्य दो आरोपी रोहित चतुर्वेदी और संतोष राय उत्तराखंड जेल में सजा काट रहे हैं।

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