अजीत पार्थ न्यूज बनकटी बस्ती
वर्तमान समय में साइबर ठगों नें लोगों को फंसाने के लिए एक नया पैंतरा चला है, नए पैटर्न के अनुसार साइबर ठग पुलिस की डीपी लगाकर संबंधित छात्र अथवा युवक के पिता एवं परिजनों को फोन करके कहते हैं कि आपका लड़का किसी लड़की के साथ गिरफ्तार हुआ है, और आप उक्त नंबर पर रुपये डाल दीजिए और मैं लड़के को छोड़ दूंगा अन्यथा लड़का जेल चला जाएगा और आपकी बहुत बदनामी होगी। पुलिस लगी डीपी से उक्त बातें सुनते ही परिजन हैरत में आ जाते हैं और आनन-फानन में दिए गए नंबर पर पैसा ट्रांसफर कर देते हैं, उसके बाद उन्हें पता चलता है कि उनके लड़के के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है ।
ताजा मामला रविवार को बनकटी कस्बे का है, जहां पर रात करीब साढ़े आठ बजे लखनऊ पढ़ने वाले एक छात्र के पिता की मोबाइल पर ऐसे ही पुलिस की डीपी लगी हुई एक फेंक कॉल आती है और उस पर बताया जाता है कि आपका लड़का एक लड़की के साथ पकड़ा गया है उसके साथ एक अन्य भी लड़का है और तत्काल आप दस हजार रुपये उक्त नंबर पर भेज दें अन्यथा आपके लड़के को जेल भेज दिया जाएगा, अगर आप पैसा भेज देते हैं तो लड़के को छोड़ दिया जाएगा। पुलिस की डीपी लगी हुई फेंक कालर की बातें सुनते ही लड़के के पिता परेशान हो अपने मित्रों, परिचितों से संपर्क करते हुए दिए गए नंबर पर दस हजार रुपये ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं। किस्मत अच्छी थी उस समय में जिससे वह संपर्क कर रहे थे,उन व्यक्तियों में किसी के भी खाते में दस हजार रुपये की रकम नहीं उपलब्ध थे। इसी बीच पीड़ित पिता के अति निकटवर्ती व्यक्ति के खाते में एक हजार रुपये उपलब्ध था और उन्होंने आनन-फानन में उक्त बताए हुए नंबर पर एक हजार रुपये भेज दिए और संबंधित पुलिस डीपी लगे हुए कालर को यह दिलासा दिलाया कि एक हजार रुपये भेज दिया है कुछ ही समय में और रुपयों का इंतजाम कर भेज रहा हूं। संयोग अच्छा था कि थोड़ी देर बाद पीड़ित पिता के बेटे से बात हुई तो बेटे नें बताया कि ऐसी कोई घटना उसके साथ घटित नहीं हुई है उक्त बातें सुनकर पिता के जान में जान आई। लोगों के मुताबिक यह तो बहुत अच्छा संयोग था कि फेंक आईडी से आई हुई कॉल के समय पीड़ित पिता के जानने वालों में से किसी के खाते में दस बजे रुपये नहीं थे नहीं तो पूरे रुपये भेज दिये होते, गनीमत रही कि केवल एक हजार रुपये का ही चूना लग पाया।
कुछ इसी तरह की घटना कुछ दिन पूर्व मुंडेरवा थाना क्षेत्र के कुरियार ग्राम में हो चुकी है। उक्त मामले में साइबर ठगों नें पिता से खाते में रुपये ले लिए थे।
साइबर क्राइम विशेषज्ञों के अनुसार इस तरीके की घटनाएं विगत पांच-छः महीनों से बढ़ी हैं, एआई के चक्कर में लोग समझ नहीं पाते और कॉल करने वाला जब कॉल करता है तो वह पूरी मुस्तैदी से संबंधित परिवार के बारे में संपूर्ण जानकारी लेने के बाद कॉल करता है और नेपथ्य में कुछ रोने की भी आवाज आती है जिसे परिजनों को यह विश्वास हो जाता है कि उक्त घटना सही है और वह संबंधित फेंक आईडी से बात करने वाले के खाते में रुपये भेज देता है।