डीएन पांडेय धनघटा संतकबीरनगर
क्वार का महीना लगभग आधा बीतने को है। इस दौरान नदी के किनारे के वासियों नें सरयू का उफान और घटने का क्रम खूब देखा और झेला। इस बार सरयू नदी की बाढ़ में यहां के किनारे पर निवास करने वाले लोगों नें बहुत नुकसान सहा। सरयू नदी की उफान का क्रम कुछ दिनों से थमा हुआ था, किंतु विगत तीन दिनों से हुए भारी बारिश के बाद नदी नें फिर से रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है, जो तट वासियों के लिए काफी चिंता का विषय बना हुआ है।
सरयू नदी की बाढ़ से सुरक्षा के लिए धनघटा में रामपुर-बहराडाड़ी तटबंध बनाया गया है। जो कि जनपद की पश्चिमी सीमा रामपुर से बहराडाड़ी गांव तक फैला हुआ है। इस बीच में पड़रिया, लौकिहा, नकहा, तेजपुर, भोतहा, हरिवंशपुर, माझा चहोड़ा, खड़कपुर, सुखमीचौरा, उमरिया गुलरिया, ढोलबजवा समेत बहुत सारे गांव बंधे के किनारे बसे हुए हैं। सरयू नदी का उफान पिछले कुछ दिनों से थमा हुआ था। जिससे कारण नदी खतरे के निशान के आस-पास पहुंचने के बाद नीचे हुई थी, जो तट वासियों को राहत दे रहा था। इन गांवों के लोग बंधे और मुख्यधारा के बीच खेती योग्य जमीन पर अपनी फसलें उगाते हैं। जिनमें परवल, गन्ना, धान इत्यादि शामिल है। कमोबेश बाढ़ के कारण स्थिति यह बनी हुई है कि यहां के किसानों की फसलें तेजी से डूब गई है।
किसान रामपलट, हरकिशुन, रामदरस, रामबेलास, दयाराम आदि की मानें तो परवल के खेत में एक बार बाढ़ का पानी चला जाता है तो उसकी डंठल और कोंपलें पूरी तरह से सड़ जाती है। जिससे परवल की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है। ऐसी दशा में बाढ़ किसानों के लिए मुसीबत लेकर आ रही है। जबकि इन लोगों नें यह भी बताया कि खेतो से ही जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था की जाती थी। लेकिन बाढ़ आ जाने के कारण नाव की व्यवस्था के साथ खेत में जाना पड़ता है। जिससे आने-जाने में काफी समय लग जाता है। फसलों के डूब जाने के कारण पशुओं के चारे का भी संकट बढ़ जाता है। इधर कुछ दिनों से नदी के उफान का क्रम थमा था। लेकिन बरसात के बाद नदी के तेजी से उफान के कारण तटवासियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती है।