∆∆••15 नवंबर से शुरू होने वाले महोत्सव में 16 की शाम कवियों और शायरों की महफिल से होगी रंगीन
∆∆•• नगर पंचायत अध्यक्ष रिंकू मणि और प्रतिनिधि नीलमणि करेंगे साहित्य और अदब के सूरमाओं का स्वागत
अजीत पार्थ न्यूज संवाददाता धनघटा संतकबीरनगर
द्वाबा के रेत की तपिश और घाघरा के जल प्रवाह के हाहाकारी थपेड़ों को झेलते हुए खुद को कबीर की सरजमीं के सिरमौर के रूप में स्थापित करने वाले “द्वाबा” को आखिरकार अपना प्लेटफार्म मिल ही गया। नगर पंचायत अध्यक्ष रिंकू मणि के अथक प्रयास और जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर के सकारात्मक प्रयास ने “द्वाबा महोत्सव” के प्रथम सोपान का आगाज करा दिया। 15 नवंबर से 17 नवंबर तक चलने वाले इस महोत्सव के दूसरे दिन आयोजित ऐतिहासिक कवि सम्मेलन और मुशायरा इस महोत्सव का केंद्र बिंदु साबित हो सकता है। यूं तो भोजपुरी नगमों और बॉलीवुड के तड़कों से परिपूर्ण इस महोत्सव में द्वाबा की संस्कृति, सभ्यता और संघर्ष की बानगी नजर आएगी लेकिन संस्कारों से परिपूर्ण इस महोत्सव में अदब और साहित्य के कोहिनूर अपने ओज, हास्य, वीरता और मर्मस्पर्शी तरानों से इस सरजमीं को अभिसिंचित करते दिखेंगे।
कवि सम्मेलन और मुशायरा में जहां हास्य रचनाओं के सम्राट विकास बौखल संचालन करते दिखेंगे वहीं कवि सम्राट गजेंद्र प्रियांशु, अखिलेश द्विवेदी, मोहन मुंतजिर, सलमान घोसवी, साक्षी तिवारी और निकहत अमरोही अपनी रचनाओं से इस महोत्सव को चार चांद लगाएंगी। कबीर की सरजमीं पर अदब की साहित्य के कोहिनूर असद महताब अपनी जन्मभूमि पर कौमी एकता का संदेश देंगे तो जिले में विद्वता की प्रतिमूर्ति कवि/ वरिष्ठ पत्रकार पवन श्रीवास्तव ‘सबा ‘ की रचनाएं लोगों को मंत्रमुग्ध कर देंगी। शारिक खलीलाबादी के चहेते भी अपने महबूब शायर की प्रस्तुतियों पर जम कर झूमेंगे। कुल मिलाकर द्वाबा महोत्सव की हर शाम इस मिट्टी के लिए ऐतिहासिक साबित होगी।
जिस तरह द्वाबा की धरती अपनी ही धरोहर घाघरा और कुआनो के थपेड़ों को सह कर आज द्वाबा महोत्सव के रूप में बुलंदी के शिखर पर विराजमान होने जा रही है उसी तर्ज पर महोत्सव के आयोजक नगर पंचायत अध्यक्ष रिंकू मणि और प्रतिनिधि नीलमणि भी तमाम दुश्वारियों को झेलते हुए इस महोत्सव के स्वर्णिम आगाज को सफल बनाने की दिशा में अग्रसर नजर आ रहे हैं।