अजीत पार्थ न्यूज संवाददाता धनघटा संत कबीर नगर
जनपद के पौली स्थित बाबा कंकडेश्वरनाथ शिव मंदिर परिसर में चल रहे गायत्री महायज्ञ व मानस प्रवचन में सोमवार को अवध धाम से पधारे संत मानस मर्मज्ञ ऋषि राज जी ने श्रीराम विवाह की कथा का रसपान कराया। संगीतमयी कथा का रसपान कराते हुए कथा ब्यास ने कहा कि जनक जी ने अपने पुत्री सीता के विवाह के लिए शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने वाले के साथ करने का संकल्प लिया था। शिव जी के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए जब देश विदेश के राजा सफल नहीं हो पाए। तब जनक जी के मुंह से कुछ अटपटी वाणी सुन लक्ष्मण जी को क्रोध आ गया। जिस पर श्री रामजी ने उन्हें शांत किया।
गुरू विश्वामित्र कि आज्ञा से राजा जनक के प्रतिज्ञा के अनुसार धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हुए धनुष का खंण्डन किया। जिसकी जानकारी होते ही परशुराम जी पहुंचे। उन्होंने श्री राम से कहा कि जिसने भी शिव जी का धनुष तोड़ा है वह शास्त्र भाव से भी बड़ा मेरा सत्र है। जिस पर लक्ष्मण जी का काफी वाद विवाद हुआ। लक्ष्मण जी ने कहा कि धनुष तो तोड़ने वाला कोई आपका दास ही होगा। उन्होंने कहा कि धनुष छूते ही टूट गया। इसमें श्री राम का कोई दोष नहीं है। अंत में परशुराम जी मान गए और माता जानकी के साथ भगवान श्री राम का विवाह संपन्न हुआ। इस मौके पर यजमान रमेश चौरसिया सुमंत सिंह,परमात्मा तिवारी, रामअधीन पाण्डेय,टिल्लू बाबा,उमेश सिंह,लाल साहब, बृजलाल,सतीश सिंह,चंद्रप्रकाश तिवारी समेत बहुत से लोग मौजूद रहे।