आज भी प्रासंगिक है,कृष्ण-सुदामा की मित्रता

∆∆•• चार मुट्ठी चावल के साथ अपने मित्र से मिलने गए थे सुदामा
∆∆•• कृष्ण सुदामा की मनमोहन झांकी ने किया मंत्रमुग्ध

अजीत पार्थ न्यूज संवाददाता धनघटा संत कबीर नगर:

जनपद के तिलकूपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में विजय राघवदास जी महाराज ने कृष्ण सुदामा की मित्रता का वर्णन किया। कहा कि कृष्ण और सुदामा की मित्रता आज भी लोगों के लिए प्रासंगिक है। श्री कृष्ण और सुदामा की मनोरम झांकी निकाली गई।

कथावाचक ने कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्णचंद के बालसखा सुदामा जी अति निर्धन ब्राह्मण थे। उनकी शादी सुशीला से हुई थी। सुशीला ने अपने घर की बुरी स्थिति को देखकर और स्वयं श्री हरिनारायण उनके पति के मित्र हैं। उन्होंने सुदामा जी से कहा कि हे नाथ आप द्वारिकाधीश के पास जाएं। इस पर सुदामा ने कहा हे सुशीला मैं द्वारिकाधीश के यहां जाने की सोच ही रहा था कि तुमने समस्या का नाम लिया। जिसके कारण मैं अब कतई नहीं जाऊंगा। सुशीला बोली स्वामी मैंने समस्या के लिए नहीं बल्कि आपको अपने मित्र से मिले काफी दिन हुए कहीं ऐसा ना हो बुरा मान ले। सुदामा ने अपने मित्र के लिए तोहफा ले जाने की बात कही। इस पर सुशीला ने 4 घरों के चावल को पोटली में बांध दिया। भगवान श्री कृष्ण के घर जाने के लिए कठिन रास्तों से गुजरते हुए सुदामा द्वारिकाधीश के महलों के पास जा पहुंचे। उन्होंने द्वारपालों से अपने बाल सखा से मिलने की इच्छा जताई। द्वारपालों ने जब सुदामा की स्थिति को देखा तो जाकर द्वारिका से कहा
शीश पगा न झगा तन में….
हे नाथ एक गरीब ब्राह्मण आपसे मिलने की जिद कर रहा है। जिसके सिर पर पगड़ी नहीं है,पैर में जूते नहीं हैं और वह अपने को आपका बाल सखा सुदामा बता रहा है। इस पर भगवान नारायण नंगे पैर दौड़ते हुए अपने मित्र के पास आए। भगवान अपने मित्र की दशा देखकर इतना दुखी हुए कि
देखि सुदामा की दीन दशा,
करुणा करके करुणानिधि रोए… पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सो पग धोए… उन्होंने परात में रखे हुए पानी को हाथसे छुआ तक नहीं। अपने आंखों के आंसुओं से अपने मित्र के पैरों को धुल दिया। यह कथा हमें सीख देती है कि मित्रता ऊंच नीच का भेदभाव नहीं करता है।

इस मौके पर इस मौके पर मुख्य यजमान महेंद्र पांडेय,अंगद पाल,गिरीरंग दूबे,लल्लन पाल,संतोष पाल,अशोक पाल,अनिल पाल,पीयूष पाल,प्रिंस पाल,लालजी पांडेय,अरुण पाल,मोनू पाल,सुरेश पाल,दयाराम,धर्मवीर,आयुष, मुकेश,अवनीश समेत बहुत से श्रोता मौजूद रहे।

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