अनुसूचित जाति की महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में दो सगे भाइयों को कठोर आजीवन कारावास की हुई सजा

अजीत पार्थ न्यूज बस्ती

जनपद के न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट कमलेश कुमार द्वारा सोमवार को अनुसूचित जाति की महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में दो सगे भाइयों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाया है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार बनाम राधेरमण पांडेय एवं उदयभान पांडेय पुत्रगण चंद्रिका प्रसाद निवासी ग्राम बनरही, थाना सोनहा, जनपद बस्ती के खिलाफ उन्हीं के ग्राम की एक महिला द्वारा आरोप लगाया गया था कि वह दिनांक-17 दिसंबर 2014 की शाम को करीब छः बजे खेत की तरफ गई हुई थी कि इसी दौरान राधेरमण व उदयभान कहीं से आ रहे थे। महिला को देखकर राधेरमण नें कहा यह तो देखने में बड़ी हसीन है, इसको पकड़ लो और फिर दोनों एकराय होकर आगे बढ़े और राधेरमण द्वारा दौड़ाकर महिला को पकड़ लिया गया तथा मुंह पर हाथ रखकर गन्ने के खेत में पटक दिया गया और उदयभान से कहा कि तुम बाहर देखो कोई इधर आने न पाए। राधेरमण नें उक्त महिला के साथ दुष्कर्म किया और दुष्कर्म के पश्चात अस्त-व्यस्त हालत में महिला अपने घर पहुंची और उक्त घटना को परिजनों को बताया।

उसके बाद सास-ससुर व कुछ अन्य लोगों के साथ महिला सोनहा थाने पर पहुंची, जहां पर पुलिस नें कोई कार्रवाई नहीं किया। तत्पश्चात महिला के परिजनों द्वारा न्यायालय में वाद दायर किया गया, उसके पश्चात न्यायालय के आदेश पर स्थानीय थाने पर मुकदमा अपराध संख्या 504/ 2015 धारा 376 (डी), 504, 506 भारतीय दंड संहिता एवं 3(2)5 अनुसूचित जाति/ जनजाति निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ।

उक्त मामले में विशेष लोक अभियोजक एससी-एसटी एक्ट वीरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा गवाह के रूप में पीड़िता महिला, उसके ससुर, जीडी लेखक राजेश यादव, विवेचक छोटेलाल यादव एवं तीरथराम को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। इस दौरान गवाह डॉ.शगुफ्ता उस्मानी नें न्यायालय को बताया कि उक्त महिला दिनांक 29 अप्रैल 2015 को महिला कांस्टेबल रत्ना सिंह के साथ मेडिको लीगल कराने के लिए जिला महिला चिकित्सालय में आई हुई थी, लेकिन महिला द्वारा मेडिकल करने से मना कर दिया गया था।

उक्त मामले में आरोपी के विद्वान अधिवक्ता को न्यायालय नें सुनने के साथ-साथ विशेष लोक अभियोजक वीरेंद्र बहादुर सिंह द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य के आधार पर आरोपी राधेरमण व उदयभान को कठोर आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ पांच हजार रुपये के अर्थदंड की भी सजा सुनाई और अर्थदंड की राशि न जमा करने पर 2 महीने की अतिरिक्त सजा का आदेश दिया। न्यायाधीश के अनुसार अभियुक्तों द्वारा पूर्व में कारागार के अंतर्गत काटी गई सजा को आजीवन कारावास की सजा में समाहित किया जाएगा।

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