पिछले 478 सालों से लगातार जल रही है भट्ठी

478 वर्षों से लगातार प्रज्वलित इस भट्टी का उपयोग ठाकुर जी की रसोई तैयार करने के लिए किया जाता है। मथुरा जनपद के वृंदावन स्थित श्री राधारमण मंदिर में दीपक जलाने से लेकर प्रसाद तैयार करने में भी इस भट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। मंदिर की प्रथम आरती के लिए अग्नि वैदिक मंत्रों के माध्यम से आज से 478 वर्ष पहले प्रकट की गई थी। इसके लिए अरण्य मंथन का सहारा लिया गया था।

उसके बाद से ही ठाकुरजी नें श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी के मन में यह भाव पैदा किया कि इसी अग्नि से भविष्य में ठाकुरजी की आरती की जाए। यही कारण है कि इस मंदिर में करीब पौने पांच सौ वर्ष से माचिस का प्रयोग नहीं किया गया। आज भी ठाकुरजी की आरती पौने पांच सौ वर्ष पूर्व प्रकट अग्नि से की जाती है।

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