अजीत पार्थ न्यूज बस्ती
पूर्वांचल में एक कहावत सर्वाधिक प्रसिद्ध है प्रेम न जाने जाति कुजाति, भूख न जाने जूठी भात उक्त कहावत बस्ती जनपद में चरितार्थ हुई है। जब प्रेम के बंधन में जकड़ी एक प्रेमिका नें तीन देशों की सीमा लांघकर रुस देश से बस्ती जनपद के सदर विकास खंड के सिकटा शुक्ल गांव के लालजी शुक्ला के पुत्र ऋषभ शुक्ला के साथ सात फेरे लेने का निर्णय लिया।
उल्लेखनीय है कि ऋषभ रुस देश में एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है वहीं की रहने वाली श्वेतलाना भी उसी कंपनी काम करती हैं। दोनों में प्रेम कुछ ऐसा परवान चढ़ा कि युगल नें विवाह करने का फैसला लिया। दोनो परिवार के सहमति से 27 फ़रवरी को रेलवे रोड स्थित एक मैरेज हाल में हजारों लोगों के सामने हिंदू रीति-रिवाज से शादी के बंधन बध गए और एक दूजे के हो गए। श्वेतलाना अब श्वेता शुक्ला बन चुकी हैं।
इस शादी की चर्चा खूब हो रही है, क्योंकि इसमें न केवल सरहदों की दीवारें गिर गईं, बल्कि यह साबित हो गया कि अगर प्यार सच्चा है तो जाति-मजहब और सरहदीं पहरों का कोई मतलब नहीं. रूस की रहने वालीं राना लाल जोड़े में पिया मिलन की आस लिए तीन देशों की सरहद लांघकर बस्ती आई हैं। श्वेतलाना के साथ उनकी मां एवं दो सहेलियां बस्ती आईं हुई हैं।