अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी
हौसले बुलंद हो तो कोई भी मंजिल मिल सकती है। इस करिश्मे को आगाज किया है, बिहार प्रदेश के भागलपुर जनपद की बेटी मानवी मधु कश्यप नें।
उल्लेखनीय है कि बिहार में बीपीएसएससी का परिणाम जारी हो चुका है। उक्त परीक्षा में 1275 अभ्यर्थी मेरिट लिस्ट में शामिल थे। दरअसल इस बार अभ्यर्थियों के चयन के लिए 842 पुरुष 450 महिलाएं और 5 सीट ट्रांसजेंडर के लिए आरक्षित की गई थी। 5 सीट में तीन सीट को ट्रांसजेंडर अपने नाम कर लिए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मानवी मधु कश्यप को ट्रांसजेंडर दारोगा के पद के लिए नियुक्त किया गया है। मानवी मधु के पिता इस दुनिया में नहीं हैं, जिस कारण उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।
मानवी मधु कश्यप नें बताया कि ट्रांसजेंडर होने के कारण उन्हें लोगों के ताने और गाली सुनने पड़े हैं। दारोगा के पद को हासिल करने के लिए यह दौर उनके लिए बहुत मुश्किल था। मानवी मधु बताती हैं कि दारोगा बनने का सपना मेरे लिए आसान नहीं था,यह सफर बहुत ही मुश्किल सफर था. उसने बताया कि जब उसके पिता का देहांत हुआ था तब वह लोगों के ताने से परेशान हो कर अपना घर छोड़ने का भी फैसला लिया और आस-पास लोगों से मुंह छिपा घर से भाग निकली।
मानवी मधु के अलावा उनके परिवार में मां, दो बहन, और एक भाई हैं । मधु पिछले दस सालों से अपने घर नहीं गई है। लेकिन अब वर्दी पहन कर अपने घर वापस जाऊंगी। कहा कि इसका सारा श्रेय हमारे गुरु जी को जाता है उन्हीं की शिक्षा से आज मैं यहां तक पहुंची हूं।
मधु नें खुद पर बीती दर्द भरी कहानी का उल्लेख करते हुए बताया कि जब वह दारोगा बनने का सपना देख रही थी तब उन्होंने कई कोचिंग सेंटर का रुख किया लेकिन कोचिंग सेंटर में मधु का प्रवेश नहीं हो पा रहा था। सभी लोग उसे प्रवेश देने से मना कर रहे थे।
मधु बताती हैं कि वह हर दिन आठ घंटे पढ़ाई करती और रोज पटना के गांधी मैदान में दौड़ने जाती थी और आज इसी मेहनत का नतीजा है कि उसने दारोगा की फिजिकल टेस्ट आठ मिनट के अंदर दौड़ पूरी कर लिया ।