अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी
शारदीय नवरात्रि में होने वाले दशहरा पर्व पर गोरक्ष पीठाधीश्वर एवं वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साधुशाही परंपरा के न्यायिक दंडाधिकारी की भूमिका का निर्वहन करेंगे। विजयादशमी की पूर्व संध्या पर योगी आदित्यनाथ शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ का विशिष्ट पूजन करेंगे।
सामाजिक समरसता के ताने-बाने को मजबूत कर समग्र रूप में लोक कल्याण की भावना को संजोए गोरक्षपीठ से प्रति वर्ष विजयादशमी को निकलने वाली विजय शोभायात्रा अनूठी होती है। गोरक्ष पीठाधीश्वर की अगुवाई वाली परंपरागत शोभायात्रा में हर वर्ग के लोग तो शामिल होते ही हैं, इसका अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा भव्य स्वागत भी किया जाता है।
विजयादशमी के दिन गोरक्ष पीठाधीश्वर नाथ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार विशेष परिधान में होते हैं,
इस दिन पूर्वाह्न काल गोरक्ष पीठाधीश्वर गुरु गोरखनाथ का विशिष्ट पूजन करेंगे। साथ ही मंदिर परिसर के सभी देव विग्रहों की पूजा की जाएगी। इसके बाद गोरखनाथ मंदिर में होने वाले पारंपरिक तिलकोत्सव कार्यक्रम में गोरक्ष पीठाधीश्वर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देंगे। सायंकाल विजयादशमी शोभायात्रा निकाली जाएगी। देर शाम को गोरखनाथ मंदिर में परंपरागत भोज का भी आयोजन होगा जिसमें अमीर-गरीब और जाति-मजहब के विभेद से परे बड़ी संख्या में सर्वसमाज के लोग शामिल होंगे।
विजयादशमी के दिन मंदिर परिसर में साधु-संतों संतों की अदालत लगती है और दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं गोरक्ष पीठाधीश्वर। नाथपंथ की परंपरा के अनुसार हर वर्ष विजयादशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर द्वारा संतों के विवादों का निस्तारण किया जाता है। मुख्यमंत्री एवं गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। इसी पद पर वह दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं। गोरखनाथ मंदिर में विजयादशमी को पात्र पूजा का कार्यक्रम होता है। इसमें गोरक्ष पीठाधीश्वर संतो के आपसी विवाद सुलझाते हैं। विवादों के निस्तारण से पूर्व संत गण पात्र देव के रूप में योगी आदित्यनाथ का पूजन करते हैं। पात्र देवता के सामने सुनवाई में कोई भी झूठ नहीं बोलता है। पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन का पर्याय माना जाता है।