अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी
शारदीय नवरात्रि में एक तरफ जहां लोग कन्या पूजन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ एक फूल जैसी नवजात बच्ची झाड़ियों में फेंकी हुई प्राप्त हुई, किंतु एक कहावत है कि जाको राखे साइयां मार सकै न कोय। उक्त नवजात बच्ची को अपनाने के लिए दारोगा दंपति आगे आए और उसके लालन-पालन का निर्णय लिया। पूरा मामला गाजियाबाद के डासना क्षेत्र का है। सूचना के अनुसार दुर्गा अष्टमी के दिन एक तरफ जहां लोग घरों में कन्या पूजन कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ ग्राम इनायतपुर में कोई नवजात बच्ची को रजवाहे के पास छोड़कर चला गया। रोती हुई बच्ची की आवाज सुनकर लोगों की नजर उस पर पड़ी जिसकी सूचना लोगों नें पुलिस को दिया। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डासना ले गई।
झाड़ियों में नवजात बच्ची मिलने की सूचना पर वेव सिटी के चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र सिंह भी सीएचसी पहुंचे। बच्ची को देखते ही उनके मन में ख्याल आया कि क्यों न इसे अपना लिया जाए। उन्होंने बताया कि इसके लिए पत्नी राशि से पूछा। पत्नी नें जवाब दिया, नवरात्रि में कन्या घर आए तो इससे अच्छा क्या और हो सकता है। बस फिर क्या था, चौकी प्रभारी और उनकी पत्नी नें बच्ची को अपना लिया।
उन्होंने बताया कि बच्ची साक्षात देवी का रूप है। वह उसे गोद लेने के लिए विधिक प्रक्रिया पूरी करेंगे। उनका विवाह साल 2018 में हुआ था किंतु अभी तक अब तक उन्हें कोई संतान नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के सभी लोग नवरात्रि में मिले दुर्गा मैय्या के इस आशीर्वाद से बेहद प्रसन्न हैं।