बस्ती में तैनात दारोगा नें अपने तैनाती के दौरान जमानतीय वारंट को कूट रचना कर बना दिया था एनबीडब्ल्यू वारंट, दारोगा और दीवान भेजे गए जेल

अजीत पार्थ न्यूज एजेंसी

जमानतीय वारंट को कूट रचना कर गैर जमानती वारंट बनाना दारोगा एवं दीवान को भारी पड़ गया, न्यायालय नें मामले को संज्ञान में लेते हुए दारोगा एवं दीवान को कूट रचना के आरोप में जेल भेज दिया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों के खिलाफ न्यायालय नें गैर जमानती वारंट जारी करनें एवं वेतन बाधित किया तो दारोगा और दीवान सोमवार को कोर्ट में हाजिर हुए। न्यायालय नें न्यायिक अभिरक्षा में दोनों को जेल भेज दिया है। सूचना के अनुसार आरोपी दारोगा बस्ती जनपद में डीसीआरबी प्रभारी हैं जबकि हेड कांस्टेबल महराजगंज जिले के निचलौल थाने में तैनात है।

उल्लेखनीय है कि कुशीनगर जनपद के कप्तानगंज थाना अंतर्गत इंदरपुर ग्राम निवासी कपिलदेव कुमार 10 फरवरी वर्ष 2019 को अपने कुआं और नाली की सफाई कर रहे थे। इसी दौरान गांव के कुछ लोगों नें उनकी पिटाई कर दिया था, मारपीट में कपिलदेव की अंगुली टूट गई थी। पीड़ित नें इसकी शिकायत थाने में किया, लेकिन कार्रवाई के बजाए पुलिस नें पीड़ित का शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया था। एसडीएम कोर्ट में लंबित शांतिभंग के मुकदमे में तारीख पर नहीं जाने पर 12 अप्रैल 2019 को अगली तारीख पर उपस्थित होकर पक्ष रखने के लिए एसडीएम कोर्ट ने 29 मार्च 2019 को जमानती वारंट (बीडब्ल्यू) जारी किया था।

तत्कालीन कप्तानगंज थाने में तैनात दारोगा भगवान सिंह और दीवान सोमदेव यादव नें जमानती वारंट में कूटरचना कर गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) बना दिया और 31 मार्च 2019 आधी रात को घर से कपिलदेव और इसकी पत्नी को गिरफ्तार कर चालान कर दिया था। पीड़ित कपिलदेव नें अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय एससीएसटी एक्ट सुनील कुमार यादव के यहां परिवाद दाखिल किया था।

साक्ष्य के आधार पर आरोपी दारोगा और दीवान को न्यायालय नें सम्मन जारी किया। कई बार वारंट, गैर जमानती वारंट जारी करने के बाद वेतन रोकने का आदेश दिया। बावजूद आरोपी दारोगा और दीवान कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। सोमवार को आरोपी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय एससीएसटी एक्ट सुनील कुमार यादव के न्यायालय में आत्मसमर्पण किया और अपनी जमानत याचिका प्रस्तुत किया। न्यायालय नें दारोगा और दीवान को जेल भेज दिया। न्यायालय नें कहा कि एससी-एसटी एक्ट की धारा 15/क/3 में परिवादी को सुना जाना आवश्यक है। जमानत याचिका की सुनवाई 23 अक्तूबर को होगी। उक्त मामले को लेकर पुलिस महकमे में तरह तरह की चर्चा है।

error: Content is protected !!