अजीत पार्थ न्यूज
वर्तमान समय में सब्जियों का भाव आसमान छू रहा है, जिसके कारण आम आदमी की थाली से सब्जियां दूर होती दिखाई दे रही हैं। स्थिति यह है कि सब्जियों का राजा आलू का वर्तमान समय में रेट 30 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम तक चल रहा है। इसी के साथ बगैर प्याज के पूर्वांचल में कोई भी सब्जी नहीं बनती है, प्याज का भाव वर्तमान समय में 70 से 90 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। कुछ इसी तरह की स्थिति अन्य सब्जियों की है।
जानकारों के मुताबिक पूर्व के वर्षों में पूर्वांचल में काफी मात्रा में आलू का उत्पादन होता था और उक्त आलू जिला मुख्यालयों पर स्थित कोल्ड स्टोरेजों में रखे जाते थे और सितंबर से लगायत नवंबर महीने तक उनकी निकासी होती थी, जिससे इस समय में आलू काफी सस्ता होता था। लेकिन विगत करीब एक दशक से वन सुअरों के आतंक के कारण बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थ नगर सहित गोरखपुर, देवरिया एवं अन्य जनपदों में आलू की बुवाई अब नाममात्र की होती है। वर्तमान समय में यहां पर आलू की आवक फर्रुखाबाद, आगरा, मेरठ समेत पश्चिमांचल के कई जनपदों से हो रहा है, जिसके कारण आलू का भाव सबसे ज्यादा बढ़ा हुआ है।
अन्य सब्जियों की भी दशा भाव के मामले में काफी ऊपर है, जिसमें फूल गोभी 60 रुपये प्रति किलोग्राम, टमाटर 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम, मटर 200 से 260 रुपये प्रति किलोग्राम, बैगन 40 रुपये प्रति किलोग्राम, लोबिया 60 रुपये प्रति किलोग्राम, परवल 80 रुपये प्रति किलोग्राम, लौकी एवं कद्दू 40 रुपये प्रति किलोग्राम, मूली 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम, धनिया की पत्ती 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम, हरी मिर्च 70 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम, यहां तक की ठंडी आरंभ होने से पूर्व लगभग सभी के घरों में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के साग 30 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है, जिसके कारण दिन भर में 300 से 400 रुपये कमाने वाला आम आदमी बड़ी मुश्किल से सब्जी खरीद कर घर चला रहा है।
कुछ यही स्थिति दाल एवं सरसों के तेल की भी है, अरहर की दाल 160 रुपये से लेकर 180 प्रति किलोग्राम तथा सरसों का तेल 140 रुपये से 170 रुपये प्रति लीटर आम बाजार में बिक रहा है, इसी के साथ लहसुन ढ़ाई सौ रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर तीन सौ रुपये तक आम बाजार में बिक रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सब्जी बाजार की महंगाई अपने चरम पर है किसी तरह से परिवार का भरण-पोषण हो रहा है।