महंगाई का तड़का: अरहर दाल का धीरे से हुआ डेढ़ गुना रफ्तार

अजीत पार्थ न्यूज ब्यूरो बस्ती

प्रोटीन का प्रमुख स्रोत अरहर दाल आम आदमी की थाली से दूर होती जा रही है, स्थिति यह है कि विगत डेढ़ महीने में सौ रुपये से लेकर 105 रुपये तक प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाली बढ़िया क्वालिटी की अरहर दाल जून माह के दूसरे सप्ताह में 145 रुपये से लेकर डेढ़ सौ रुपये तक की दर से बिक रही है। ऐसी स्थिति में 300 रुपये प्रतिदिन कमाने वाला मजदूर से लेकर सर्वहारा वर्ग की थाली से अरहर दाल दूर होती जा रही है।

कुछ इसी तरह का मामला हरी सब्जियों के साथ भी चल रहा है। ताजा फुटकर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक नेनुआ 20 से 40 रुपये प्रति किलोग्राम सरपुतिया 30 से 40 रुपये के साथ अदरक दो सौ से ढ़ाई सौ रुपये, टमाटर 40 रुपये,आलू 15 से 18 रुपये, परवल 80 रुपये, हरी मिर्च 60 रुपये, लौकी 20 से 30 रुपये, भिंडी 40 रुपये, प्याज 20 रुपये, गोभी सौ रुपये, लोबिया 60 रुपये, अरबी 60 रुपये के साथ कुनरु 40 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है। ऐसी स्थिति में छोटी आमदनी के लोगों के लिए घर का खर्चा चलाना वर्तमान समय में मुश्किल हो रहा है। बनकटी क्षेत्र के निवासी रामचंद्र त्रिपाठी,सुरेंद्र बहादुर सिंह, हृदयराम, लालबिहारी, रोहित पांडेय का कहना है कि सरकार को खाद्य वस्तुओं की कीमतों में अंकुश लगाना चाहिए, जिससे आम आदमी की भी थाली में दाल से लगायत हरी सब्जियां भी दिख सकें।

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